जिले के रामानुजगंज में आस्था और विश्वास का महापर्व छठ की छटा पूरी तरह से बिखर चुकी है। मंगलवार को खरना से संपन्न होने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत शुरू हो गया है। आज शाम व्रती छठ के घाटों पर अस्ताचलगामी यानी कि डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देकर परिवार की सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। गुरुवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। अपने व्रतों को खत्म करेंगे।
छठ व्रत मुख्यतः उत्तर प्रदेश झारखंड और बिहार के प्रमुख व्रत में एक है। छठ व्रत देश के साथ-साथ विदेशों में भी विधि विधान से मनाया जा रहा है। इस पर्व को नदी के किनारे घाट बनाकर मनाया जाता है।जिसकी व्यवस्था स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी दुरुस्त की जाती है। इस पर्व को मनाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी हर प्रकार के इंतजाम भी किए जाते हैं। जिससे व्रत करे व्रतियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। घाटों पर लोगों का एक हुजूम देखने को मिलता है जहां व्रतियों के साथ साथ पूरा परिवार है उस नदी के तट पर पहुंचकर डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपने परिवार की सुख शांति समृद्धि समृद्धि की कामना करते हैं।
इस व्रत को करने वाले व्रतियों का कहना है कि व्रत करने से घर में परिवार में सुख समृद्धि और शांति बना रहता है। इतना ही नहीं घर में किसी प्रकार की बाधाएं नहीं आती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह परंपरा कई सैकड़ो वर्षों से चलता आ रहा है। और यह परंपरा हमारे जीवन कल तक चलता रहेगा। इस व्रत को करने वाले व्रतियों को उनकी सारी मन्नते पूरी हो जाती है। इसीलिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ शुद्धता के साथ किया जाता है।
दीपावली के 6 दिनों के बाद मनाने जाने वाला पर्व छठ पर्व की तैयारियां पूरे देश में दीपावली के बाद से होने लगती है। वही इस पर्व में सामान्य नागरिकों या नेता हो अधिकारी सभी एक सामान्य व्यक्ति की तरह इसमें अपनी सहभागिता देते हैं। सभी अपने-अपने अनुसार सेवा भाव से कार्य करते हैं।
व्रतियों को अर्ध्य दिलाने पहुंचे पंडित जी ने बताया कि यह पर्व हिंदू पर्व में सबसे बड़ा और विशेष पर्व है। इसकी मान्यता पहले यूपी बिहार झारखंड एवं छत्तीसगढ़ सहित लेकिन अब यह पूरे देश में मनाया जा रहा है।