कोरियाछत्तीसगढ़

आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी के नाम पर नामांतरण का मामला, आरटीआई कार्यकर्ता ने प्रेसवार्ता कर लगाया गंभीर आरोप,चालीस वर्ष पूर्व खरीदी-बिक्री के मामले सुनवाई नहीं करने का लगाया आरोप, एसडीएम मनेन्द्रगढ़ ने आरोप को बताया निराधार, पीड़ित ने अनशन के बाद आत्मदाह की दी चेतावनी…

मनेन्द्रगढ़। एक आदिवासी की भूमि को गैर आदिवासी को बेचने के मामले में आरटीआई कार्यकर्ता रमाशंकर गुप्ता ने प्रेस वार्ता लेकर राजस्व विभाग और वर्तमान एसडीएम नयनतारा सिंह तोमर पर गम्भीर आरोप लगाया है। आरटीआई कार्यकर्ता रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि मनेंद्रगढ़ के चैनपुर इलाके में रहने वाले रघुनाथ सिंह गोंड चालीस वर्षों से अपनी जमीन वापस पाने के लिए न्यायालय के चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी भूमि उसे वापस नहीं की जा रही है । और इस मामले में जिस प्रकार से राजस्व विभाग के अधिकारी उसके साथ व्यवहार कर रहे हैं वह काफी आश्चर्यजनक है. एक ओर जहां प्रदेश सरकार आदिवासियों के संरक्षण की बात करती है वहीं दूसरी ओर एक आदिवासी को चालीस वर्षों से अपनी जमीन के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है इससे हताश होकर उसने पहले अनशन पर बैठने उसके बाद भी न्याय नहीं मिलने पर आत्मदाह तक करने की घोषणा कर दी है

आरटीआई कार्यकर्ता रमाशंकर गुप्ता व पीड़ित

वहीं इस पूरे मामले में मनेन्द्रगढ़ एसडीएम नयनतारा सिंह तोमर ने कहा कि राजस्व विभाग और मुझ पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है. यह मामला लगभग चालीस वर्ष पुराना है इसे लेकर आवेदक द्वारा 2021 में एक आवेदन प्रस्तुत कर कहा गया कि मेरे दादा की जमीन पर गैर आदिवासी द्वारा कब्जा किया गया है। इस मामले में मेरे द्वारा मामला पंजीबद्ध कर मामले की सुनवाई की गई जिसमें कब्जाधारी द्वारा दो आदेश प्रस्तुत किया गया जिसमें 1989 और 1997 के दोनो ही आदेश में तत्कालीन एसडीएम मनेन्द्रगढ़ द्वारा आवेदक रघुनाथ गोंड के आवेदन को खारिज किया गया है। जिसके आधार पर मैंने भी आवेदक रघुनाथ गोंड का मामला खारिज किया है. क्यों कि जिस अदालत में एक बार मामला खारिज हो जाता है उसी मामले को दुबारा उसी अदालत में सुनवाई नहीं कि जा सकती है। साथ ही आवेदक के शिक्षित न होने के कारण लिखित में कहा गया है कि अगर आप एसडीएम न्यायालय से संतुष्ट नहीं हैं तो आप ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं।

नयनतारा सिंह तोमर,एसडीएम मनेन्द्रगढ़

वहीं पीड़ित रघुनाथ गोंड का कहना है कि मैं अपने जमीन के लिए लगभग चालीस वर्षो से लड़ाई लड़ रहा हूँ मुझे कहीं न्याय नहीं मिल रहा है। अब मैं थक चुका हूं.अब मुझमें हिम्मत नहीं बची है और आगामी सात सितंबर से मैं अनशन पर बैठने वाला हूँ। इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई और मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं आत्मदाह कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूंगा। अब देखना होगा कि इस मामले में प्रशासन क्या कार्यवाही करती है

रघुनाथ गौंड,पीड़ित

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