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कोरोना की दूसरी लहर का असर अब मूर्तिकारों के पारंपरिक व्यवसाय पर नजर आने लगा है।कोरोना के वजह से विगत एक सालों के इनकी व्यापार पूरी तरह ठप्प पड़ गया है। हर साल गणेश चतुर्थी के लिए प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार इस बार बड़ी प्रतिमाओं की जगह छोटी प्रतिमा ही बना रहे हैं। बड़ी प्रतिमा सिर्फ ऑर्डर के बाद ही बना रहे हैं।
रामानुजगंज विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत धनगांव में मुर्तिकार सुशांत मंडल 3 पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं। उनके पिता पंकज मंडल भी मुर्तिकार थे साथ ही उनके दादा अतुल मंडल भी प्रसिद्ध मुर्तिकार थे। सुशांत ने अपने पिता और दादा से मुर्ति बनाने का काम सीखा है।सुशांत मंडल बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शरणार्थी बनकर भारत आए उन्हें मुर्ति कला में प्रसिद्धि प्राप्त है।मंडल के परिवार माँ दुर्गा सहित भगवान गणेश के साथ ही सभी देवी देवताओं कि मूर्तियां बनाते थे तब से अब तक उनका परिवार यह काम कर रहा है।
मंडल परिवार धनगांव में विगत कई पीढ़ियों से लगातार भगवान गणेश व माँ दुर्गा की प्रतिमा बनाकर बेचते हैं। एक माह से ये मूर्तिकार भगवान गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए है। इस वर्ष इन्होंने 25 छोटी बड़ी मूर्तियां बनाई है जिसकी कीमत 700 रूपए से शुरू है। इनकी मूर्ति बनाने की कला से यहां के श्रद्धालु के साथ ही आम व्यक्ति भी काफी प्रभावित है।