मनेन्द्रगढ़। अभाव में रहने के बावजूद भी आसक्षरो को को साक्षर बनाने का काम अगर कोई कर सकता है तो वह मात्र शिक्षक ही कर सकता है। जो चाहता है कि उसके द्वारा पढ़ाये गए बच्चे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के आयाम छुए। कुछ ऐसी ही मिसाल प्रदेश की प्रथम विधानसभा भरतपुर सोनहत के नगर पंचायत खोंगापानी में रहने वाले शिक्षक महेंद्र पांडे में मिलती है जो एक निजी शिक्षण संस्थान में पढ़ाते हुए अब सेवानिवृत्ति की ओर अग्रसर है, लेकिन अपने जीवन काल में उन्होंने ऐसे कई कार्य किए हैं जिसने उन्हें छात्र छात्राओं के साथ ही पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय बना दिया। मध्यम वर्गीय परिवार के महेंद्र पांडे खोंगापानी के यमुना प्रसाद शास्त्री स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हैं उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज देश में विभिन्न संस्थानों में कार्य कर रहे हैं जिस बच्चे को हाथ पकड़ कर उन्होंने लिखना पढ़ना सिखाया आज का देश के नामी-गिरामी संस्थानों में कार्य कर रहे है तो उनके पढ़ाये कई बच्चे आज देश की रखवाली करने का काम भी कर रहे हैं। महेंद्र पांडे ने अपनी नौकरी की शुरुआत 800 रुपये महीने से की थी वो आज 12 हजार रुपये प्रतिमाह की सैलरी पर काम कर रहे है।
शिक्षक महेंद्र पांडे के संस्कारों का असर उनके बच्चों में भी देखा जा सकता है उनके बड़े पुत्र दीपक पांडे देश के प्रतिष्ठित फार्मा कंपनी में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं तो वहीं छोटे पुत्र नीरज पांडे जिनके मन में बचपन से ही छात्रों की लड़ाई लड़ने का जज्बा था। छात्रों के हितों की अनदेखी को देखकर वे समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करते रहे उनके संघर्ष पर काग्रेस नेताओं की नजर पड़ी और बीते वर्ष उन्हें छात्रों के लिए कार्य करने वाले संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन एनएसयूआई का छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। नीरज मानते हैं कि जब तक छात्रों के हितों की अनदेखी की जाएगी तब तक छात्र अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे और यही वजह है कि वे इस ओर लगातार प्रयास कर रहे हैं।
महेंद्र पांडे ने शिक्षक के तौर पर जहां एक ओर बच्चों को पढ़ना सिखाया तो एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष बेटे नीरज ने छात्रों को अपने हक के लिए लड़ना सिखाया। नीरज पांडे ने कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई होने पर ऑनलाइन परीक्षा की मांग राज्य सरकार से दमदारी के साथ की जिसका नतीजा था कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित हुई। वही प्रदेश भर में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षा की फीस माफ भी करवाई। नीरज कहते हैं मैं जब भी छात्रों के बीच जाता हूं वहाँ प्रतिभावान छात्रों की आर्थिक समस्या से रूबरू होता हूँ और उनकी समस्याओं को मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायको के जरिये दूर कराने का कार्य करता हूँ।
इस पेशे में आकर मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। मेरे लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि जिन बच्चों को पढ़ाकर मैंने छात्र बनाया आज उन्ही छात्रों को उनका हक दिलाने का काम मेरा बेटा छात्र संगठन के जरिये कर रहा है- महेंद्र पांडे