बलरामपुर जिले मे भूमाफिया किस कदर सक्रिय है आप ताजातरीन रामानुजगंज के वार्ड क्रमांक 1 रकबा नंबर 4/11 को जिस व्यक्ति के द्वारा रजिस्ट्री की गई है उसका मूल आधार कार्ड में दर्शित पत्ते के सरपंच एवं जनप्रतिनिधियों ने उसे 25 वर्ष पूर्व मृत बता है जिसके बाद यह रजिस्ट्री आम लोगों की नजर में आई है तो वही इस रजिस्ट्री को अगर बारीकी से देखें तो जल्द से जल्द इस मामले को निपटाने हेतु शासकीय कर्मचारी किस कदर पूंजीपतियों के शरणागत हो जाते हैं इस रजिस्ट्री में साफ दिखता है बिंदुवार आपको मैं रजिस्ट्री में खामियां हैं उसे मैं दिखाने का प्रयास करता हूं
(1) रजिस्ट्री का दिनांक 14 अक्टूबर 2022 है तो अधिकार अभिलेख नकल देने की तिथि उसी रजिस्ट्री में 25 अक्टूबर 2022 बताई गई है 25 तारीख से पहले ही अधिकार अभिलेख की सत्य प्रतिलिपि प्राप्त हो गए और रजिस्ट्री में प्रयुक्त हुआ
इसी तहसील कार्यालय में सत्य प्रतिलिपि या नकल निकलवाने के लिए कई महीने गुजर जाते हैं इस रजिस्ट्री के लिए समय अवधि से पहले ही उन्हें सत्य प्रतिलिपि की कॉपी दे दी जाती है जो कि आवेदक करता के द्वारा 10/10 /2022 को आवेदन किया गया था और 14 /10/ 2022 को रजिस्ट्री की गई है इतनी जल्दबाजी
(2) अधिकार अभिलेख की सत्य प्रतिलिपि को अगर बारीकी से देखा जाए तो इस भूमि को शासन के द्वारा 28/12 /1962को लगभग संशोधन करते हुए शासन के द्वारा पट्टा नान्हू आत्मज इतवरु के नाम पर दर्ज है किया गया है
वही रजिस्ट्री में इस इस भूमि को शासन से प्राप्त पट्टे की भूमि नहीं बताया गया है सोचने वाली बात है एक ही भूमि को अलग अलग जानकारी दी गई है वही इस रजिस्ट्री में विक्रेता का भूमि काविज कास्त बताया गया है तो फिर विक्रेता का मूल निवास कड़ियां कैसे ?
(3) b1 और खसरा देर रात 11/10 /2022 को लगभग 8:32 पर ऑनलाइन डिजिटल सिगनेचर राजस्व निरीक्षक पटवारी के द्वारा किया गया डिजिटल सिग्नेचर के साथ-साथ मैनुअल सिग्नेचर सील लगाकर दिया गया लेकिन जल्दबाजी में पटवारी महोदय के द्वारा 11 /10/ 2022 के जगह जो दिनांक अभी आया ही नहीं है 11 /12 /2022 उस दिनांक को लिखते हुए विक्रेता को दी गई पैसे में इतनी ताकत होती है जिन पटवारियों को आम लोगों को ढूंढने में कई दिन गुजर जाते हैं पैर के चप्पलें घिस जाती हैं वही पूंजीपतियों और भू माफियाओं के सामने होश ही खो बैठते हैं
(4)विक्रय हेतु प्रस्तावित भूमि का जांच प्रतिवेदन मैं प्रस्तावित भूमि का खसरा नंबर 4 /11 रकबा 2 .70 अभिलेख 1955 के अनुसार किसके नाम से दर्ज है भरा ही नहिं गया है
(5तो दूसरी ओर विक्रेता क्रेता एवं गवाहों के हस्ताक्षर तक नहीं लिए गए हैं इस प्रतिवेदन में फिर भी उप पंजीयक के द्वारा पंजीयन कर दिया गया है
इस रजिस्ट्री को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि जिसके पास पैसा है उसके पास सब कुछ है पैसे के सामने सभी नतमस्तक हो जाते हैं
आखिर उच्च अधिकारी इस तरीके के फर्जीवाड़े पर मौन क्यों है इन पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जनता ऐसे फर्जीवाड़े मैं मोहरों के पीछे भू माफियाओं से भयभीत हैं नगर के लोगों एवं चर्चा का विषय बना हुआ है सूत्र बताते हैं कि यह भू माफिया रामानुजगंज ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के इस तरीके को भूमि का नामांतरण रजिस्ट्री करा कर करोड़ों रुपए का खेला कर चुके हैं उच्च अधिकारियों को इस मामलै को
संज्ञान में आने के बाद इस तरीके की बड़ी रजिस्ट्री की लेनदेन की बारीकी से जांच करनी चाहिए।