छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड में निवास करने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति पंडो के 5 लोगों की बीते 12 दिनों में अलग-अलग गांवों में मृत्यु हो चुकी है। इन मौतों के कारणों में खून की कमी, बुखार, क्षय रोग, और प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मृत्यु शामिल हैं।
पंडो समाज के प्रांतीय अध्यक्ष उदय पंडो ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, सरगुजा कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी लापरवाही का आरोप लगाया है और मांग की है कि स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पंडो समाज ने इसके लिए संयुक्त संचालक स्वास्थ्य को भी आवेदन सौंपा है।
इस विशेष जनजाति के लोग मौसमी बीमारियों से भी लगातार जूझ रहे हैं, जिससे उनकी हालत और खराब होती जा रही है। यह हालात सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और योजनाओं के असफल क्रियान्वयन की ओर इशारा करते हैं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत सिंह के अनुसार, पीवीटीजी (प्रिमिटिव वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप) कार्यक्रम जिले के 6 विकासखंडों में संचालित किया जा रहा है। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने जांच टीम भेजने का आदेश दिया है और आश्वासन दिया है कि जिन गांवों में मौतें हुई हैं, वहां के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन और जनजातियों को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में प्रशासनिक विफलताओं की ओर गंभीर सवाल खड़े करती है।
विशेष रूप से, इस क्षेत्र के विधायक राम विचार नेताम, जो वर्तमान में कृषि और अति पिछड़ी जनजाति मंत्री हैं, उनके गृह ग्राम से लगे हुए गांवों में ही पंडो जनजाति के सदस्यों की मौतें हुई हैं। इससे सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन इन विशेष जनजातियों की सहायता के लिए क्या कदम उठाते है।