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हाई वोल्टेज तार से जंगली हाथी की मौत, हाथी के मौत मामले में आरोपी गिरफ्तार

बलरामपुर वनमंडल के मुरका गाँव के जंगल क्षेत्र में जंगली हाथियों के एक दल का विचरण हो रहा था। वन विभाग की टीम इस दल पर कड़ी नजर बनाए हुए थी, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसी दौरान, रात के लगभग 1 बजे एक हाथी के दल से अलग हो जाने की सूचना वन विभाग को प्राप्त हुई। इस खबर के मिलते ही वन मंडल अधिकारी  अशोक तिवारी ने तुरंत हाथी की खोज के लिए टीम को निर्देशित किया।



                    घटना का क्रम

सुबह के लगभग 7 बजे के आसपास, वन विभाग की टीम को जंगल के किनारे स्थित एक धान के खेत में उस बिछड़े हुए हाथी का शव मिला। हाथी के मृत पाए जाने पर प्रारंभिक जाँच शुरू की गई। इस दौरान यह पता चला कि खेत के किनारे हाई वोल्टेज का बिजली तार लगाया गया था, जिसे जानबूझकर कलच वायर के माध्यम से जोड़कर करंट प्रवाहित किया गया था। हाथी के उसी करंट की चपेट में आने से उसकी मृत्यु हो गई।



             आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

घटना की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग ने मामले की विस्तृत जांच शुरू की। गवाहों के बयान और प्रारंभिक सबूतों के आधार पर आरोपी की पहचान रामबक्स, पिता बाबूलाल गोड़ निवासी मुरका के रूप में की गई। माथेश्वरण बी
सीसीएफ सरगुजा वन वृत्त, अंबिकापुर ने बताया कि आरोपी को वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ वन अपराध का मामला पंजीबद्ध किया गया। इस मामले में वन विभाग आगे की जांच कर रहा है ताकि घटना की तह तक पहुँचा जा सके और किसी भी अन्य शामिल व्यक्ति की पहचान हो सके।



वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति और पोस्टमार्टम

इस दुखद घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे। सरगुजा के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) माथेश्वरण बी., वन्यप्राणी संरक्षण के मुख्य वन संरक्षक के.आर. बढ़ई, एलिफेंट रिजर्व के उप निदेशक श्रीनिवास तनेटी, और बलरामपुर के डीएफओ अशोक तिवारी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया।



वन्यप्राणी विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा मृत हाथी का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में करंट लगने के कारण ही हाथी की मृत्यु की पुष्टि हुई। इसके पश्चात विभागीय नियमों का पालन करते हुए हाथी के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस प्रक्रिया को अधिकारियों की उपस्थिति में ही सम्पन्न किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घटना के हर पहलू की पूरी जांच हो रही है और पर्यावरण संरक्षण के मापदंडों का पालन किया जा रहा है।



वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई

इस मामले में वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया है। यह अधिनियम वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है और इसके तहत दोषियों को कड़ी सजा का प्रावधान है। विभाग इस घटना के संदर्भ में पूर्णत: प्रतिबद्ध है कि आरोपी को सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।



जंगली हाथियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

वन विभाग इस घटना के बाद और अधिक सतर्क हो गया है। जंगली हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है। इनमें निम्नलिखित कदम शामिल हैं:

सघन निगरानी: वन विभाग के दल अब नियमित रूप से उन क्षेत्रों की गश्त करेंगे जहाँ जंगली हाथियों का आना-जाना होता है।

समुदाय का सहयोग: ग्रामीणों को हाथियों के महत्व और उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ वन्यप्राणी अधिनियम के तहत अपराध हैं और इसके गंभीर परिणाम होते हैं।

विद्युत लाइनों की सुरक्षा: विद्युत विभाग के सहयोग से खेतों के पास से गुजरने वाली बिजली लाइनों की नियमित जांच की जाएगी ताकि इस तरह के हादसों को रोका जा सके।


इस दुखद घटना ने वन्यप्राणी संरक्षण और जंगली हाथियों की सुरक्षा की गंभीरता को एक बार फिर से उजागर किया है। वही यह घटना दर्शाती है कि किस प्रकार मानवीय गतिविधियाँ वन्य जीवों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। वन विभाग की ओर से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की गई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। विभाग इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और वन्यजीव संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए पूरी तरह तत्पर है।

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