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फर्जी रिकॉर्ड के सहारे जमीन कब्जाने का पर्दाफाश, 10 आरोपियों पर केस दर्ज

बलरामपुर: जमीन के फर्जी दस्तावेजों का पर्दाफाश, 10 पर एफआईआर दर्ज


बलरामपुर जिले के राजपुर अनुभाग के ग्राम मदनेश्वरपुर में जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर पटवारी पर चौहद्दी बनाने का दबाव डालने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना में जिला स्तरीय जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर 10 लोगों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है, जिनमें नगर सैनिक और शिक्षा विभाग का क्लर्क भी शामिल है।

क्या है मामला?

ग्राम मदनेश्वरपुर के खसरा नंबर 544/22 (रकबा 2.371) और खसरा नंबर 550/1 के अधिकार अभिलेखों को 1954-55 के रिकॉर्ड से मिलाने के लिए पटवारी अनिमा पैकरा ने जिला अभिलेखागार से दस्तावेज़ों की मांग की। जांच के बाद पता चला कि प्रस्तुत रिकॉर्ड फर्जी थे।

पटवारी ने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप के जरिए 1954-55 के अधिकार अभिलेख का नकल भेजी गई थी और जमीन की खरीदी के लिए चौहद्दी बनाने का दबाव डाला गया। जब दस्तावेज़ संदेहास्पद निकले, तो उन्होंने चौहद्दी बनाने से इनकार कर दिया। इसके बावजूद सौरभ सिंह, राजेश सिंह और रविदास ने फोन पर दबाव बनाना जारी रखा।


पटवारी की सतर्कता से हुआ खुलासा

पटवारी ने इस मामले की सूचना राजपुर एसडीएम को दी। एसडीएम ने खसरा रिकॉर्ड का मिलान जिला अभिलेखागार में करवाया। जांच में फर्जी दस्तावेजों की पुष्टि हुई। इसके बाद 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश जारी किया गया।

इन पर दर्ज हुआ मामला


1. सुनील मिंज (लेजुआपोखरा, बलरामपुर)


2. सौरभ सिंह (राजपुर)


3. राजेश सिंह (ठेकेदार, बलरामपुर)


4. बसील खलखो (भेलईखुर्द, राजपुर)


5. रमेश ठाकुर (अम्बिकापुर, सरगुजा)


6. रामरूप यादव (मदनेश्वरपुर, राजपुर)


7. सुरेशचंद्र मिश्र (डूमरसोता, गढ़वा, झारखंड)


8. जयप्रकाश श्रीवास्तव (अम्बिकापुर, सरगुजा)


9. तेरेसा लकड़ा (नगर सैनिक, बलरामपुर)


10. विजय बहादुर सिंह (शिक्षा विभाग क्लर्क, बलरामपुर)




प्रशासन का रुख सख्त

कलेक्टर कार्यालय ने इस प्रकरण में संलिप्त सभी आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस मामले ने सरकारी रिकॉर्ड्स की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

विशेष कदम की जरूरत

फर्जी दस्तावेजों पर रोक लगाने के लिए रिकॉर्ड की डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा देकर उदाहरण प्रस्तुत किया जाए।


यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ईमानदारी और सतर्कता से बड़े अपराधों का पर्दाफाश किया जा सकता है।

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