छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर सरकार की नीतियों पर कांग्रेस का हमला: किसानों के लिए ₹3270 प्रति क्विंटल मूल्य की मांग
बलरामपुर/ राजपुर
स्थानीय कांग्रेस कार्यालय में आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए जिला प्रवक्ता ने छत्तीसगढ़ की धान खरीदी नीति पर बात की और कहा कि छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मजाक बना कर रख दिया है छत्तीसगढ़ में विष्णु देव सरकार की नई नीति से स्पष्ट है कि किसानों के धान खरीदी काम करने का षड्यंत्र छत्तीसगढ़ में चल रहा है जिसके लिए छत्तीसगढ़ में सरकार ने प्रतिदिन लगभग 3:30 लाख मैट्रिक तक की खरीदी करने का लक्ष्य रखा है और कुल 47 दिन ही धान खरीदी के लिए निर्धारित हैं।14 नवंबर से 31 जनवरी तक के कल समय अवधि में रविवार और शनिवार सहित सरकारी छुट्टियां को घटाने के बाद सिर्फ 47 दिन ही बचते हैं।
सोसाइटी में बरदाने की कमी है किसान परेशान है सरकार ने कहा है कि 50-50% नए और पुराने बरदानों की उपलब्धता कराई जा रही है परंतु बरदानों की कमी से धान खरीदी प्रभावित हो रहा है किसानों को टोकन जारी नहीं हो रहे हैं किसान लाईन में लगकर टोकन के लिए लंबे समय तक खड़े रह रहे हैं ऑनलाइन टोकन सिस्टम के कारण 15 दिन बाद का टोकन भी नहीं मिल पा रहा है सरकार ने 160 लाख मिट्रिक टन-धान का खरीदी का लक्ष्य रखा है परंतु यह लक्ष्य सिर्फ दिखावे का है और लक्ष्य धान की अच्छी फसल होने के बाद भी पूरा होना सरकार की नीतियों के कारण मुश्किल है।
सरकार की 21 क्विंटल खरीदी की घोषणा के बाद अनावरी रिपोर्ट और पोर्टल पर दिए गए फसल विवरण के बाद भी टोकन में खरीदी की मात्रा कम किसानों को कम दी जा रही है, जिससे अंततः किसान को परेशान होना पड़ रहा है और भारतीय जनता पार्टी अपने वादे से भी मुकर रही है। लघु और सीमांत कृषकों को और ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है।
कांग्रेस सरकार से मांग करती है कि छत्तीसगढ़ की सरकार किसानों को धान का मूल्य ₹3270 प्रति क्विंटल भुगतान करें क्योंकि ₹3100 पर भाजपा ने अपनी चुनावी वायदे में घोषणा किया था और केंद्र की सरकार ने समर्थन मूल्य 117 रुपए वृद्धि कर दी है इस कारण धान की खरीदी मूल्य ₹3217 रुपए प्रति क्विंटल किया जाना ही उचित होगा कांग्रेस की जब सरकार थी तो कांग्रेस की सरकार ने समर्थन मूल्य बढ़ने पर किसानों को कांग्रेस की सरकार ने धान का समर्थन मूल्य सहित कुल मूल्य 2640 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान किया था।
प्रेस वार्ता में छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सरकार की नीति और किसानों के समक्ष आ रही समस्याओं पर केंद्रित थी। जिला कांग्रेस प्रवक्ता सुनील सिंह ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए इसे किसानों के साथ “मजाक” करार दिया। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के लिए निर्धारित 47 दिनों की अवधि और प्रतिदिन 3.30 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य व्यावहारिक नहीं है।
मुख्य मुद्दे:
1. बरदाने की कमी: खरीदी केंद्रों पर नए और पुराने बरदाने की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से धान खरीदी प्रभावित हो रही है।
2. ऑनलाइन टोकन सिस्टम: किसानों को समय पर टोकन नहीं मिल रहे, जिससे उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
3. धान की खरीदी सीमा: अनावरी रिपोर्ट और पोर्टल पर विवरण के बावजूद किसानों को टोकन में कम मात्रा दी जा रही है।
4. धान मूल्य: कांग्रेस ने भाजपा सरकार से धान का मूल्य ₹3270 प्रति क्विंटल तय करने की मांग की, जबकि अभी किसानों को समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद भी उचित दर नहीं मिल रही है।
धान उपार्जन नीति की आलोचना:
बफर स्टॉक उठाव की नई नीति से समितियों के अधिकार सीमित हो गए हैं।
खरीदी केंद्रों में जगह की कमी और समय पर धान का उठाव न होने से संग्रहण की समस्या बढ़ गई है।
कांग्रेस सरकार द्वारा तय प्रति क्विंटल ₹120 मिलिंग शुल्क अब घटाकर ₹60 कर दिया गया है, जिससे राइस मिलें आर्थिक संकट में हैं।
कांग्रेस ने यह मांग की कि सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए धान खरीदी की नीतियों को संशोधित करे और किसानों को उचित मूल्य का भुगतान सुनिश्चित करे।
जिला प्रवक्ता सुनील सिंह ने आगे यह भी कहा है कि सरकार की धान उपार्जन नीति जो कांग्रेस के समय में थी उसे सरकार ने बदल दिया है नई नीति के अनुसार 72 घंटे में बफर स्टॉक के उठाव नीति को बदल दिया गया है पहले समितियों के पास पर्याप्त अधिकार थे समय सीमा में उठाव न होने पर वह चुनौती दे सकते थे पर अब बदलाव हुआ है उसमें बफर स्टॉक के उठाव की कोई सीमा नहीं है धान खरीदी केंद्रों में जगह की कमी आना तय है और वह कमी दिखाई भी दे रही है। मार्कफेड द्वारा धान उपार्जन का निपटान 28 फरवरी तक कर देने की बाध्यता रखी गई थी,जिसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया है धान की खरीदी बंद 31 जनवरी को होगी और समितियां में सावधान का संग्रहण 2 महीने तक रखा रहेगा धान मिलिंग के लिए कांग्रेस ने प्रति क्विंटल ₹120 देने का निर्णय लिया था जिसे अब घटकर ₹60 कर दिया गया है, कांग्रेस के सरकार के दौर में 700 नई राइस मील खुली थी अब राइस मिलों को बंद करने की स्थिति मिल मालिकों के पास आ गई है और राइस मिलरों ने भी धान की मिलिगं करने में असमर्थता व्यक्त कर दी है।
समूचे परिस्थितियो को देखते हुए यह स्पष्ट है कि सरकार आने वाले समय में धान की खरीदी किसानों को दिए गएआश्वासन अनुसार भी नहीं कर पाएगी।
पत्रकार वार्ता के दौरान किसान कांग्रेस के अध्यक्ष राम बिहारी यादव व पंचायती राज संगठन के भुवनेश्वर पैकरा सहित अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।