बलरामपुर जिले में मनरेगा कर्मियों द्वारा दो प्रमुख मांगो नियमितिकरण करने एवं जब तक नियमितिकरण नहीं हुआ है तब तक समस्त मनरेगाकर्मियों को पंचायत कर्मी का दर्जा एवं रोजगार सहायकों के वेतनमान निर्धारण को लेकर गांधीवादी तरीके से हड़ताल जारी है। सरकार ने इनकी मांगों को लेकर अभी तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई, वहीं मनरेगा कर्मियों ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक स्तर से 61दिन चले इस हड़ताल को अब दमनपूर्वक कुचलने की तैयारी है। जिससे नाराज़ मनरेगाकर्मी अब फांसी पर चढ़ने
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के ब्लॉक अध्यक्ष गोकुल नंद जायसवाल ने बताया कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में हमें नियमित करने का वादा किया था, किंतु साढ़े 03वर्ष व्यतीत होने के उपरांत भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई। कोरोना काल में हमने ग्रामीण मजदूरों को काम देने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने में अपने जान की परवाह किए बैगेर कार्य किए है, जिसके परिणाम स्वरूप राज्य को प्राप्त लक्ष्य के अनुरूप मात्र 5 माह में 120 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त हुई। आम जनता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए हमारे 200 से अधिक मनरेगा कर्मचारी कोरोना काल में शहीद हुए जिनकी शहादत को भी छत्तीसगढ़ शासन से सम्मान नहीं दिया गया। आज इन के परिवारों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। लगातार अपनी मांगों को शासन-प्रशासन के समक्ष हम शांतिपूर्ण ढंग से रखते आए हैं, तदुपरांत प्रशासनिक स्तर पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। जिसके कारण मनरेगा कर्मचारियों के मन में अब रोष व्याप्त होता गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि 04 अप्रैल से राज्य भर के मनरेगा कर्मचारी हड़ताल पर आ गए। हड़ताल के दौरान सरकार ने हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और प्रशासनिक अधिकारी सेवा समप्ति की धमकी देकर और डराकर हड़ताल को कुचलने के लगातार प्रयास करते रहे ।किंतु हड़ताल 61 दिनों से निरंतर जारी है। अपने अधिकार के लिए कर्मचारी जो हड़ताल में है उनकी आवाज दवाने के लिए प्रशासन अब अलोकतांत्रिक तरीकों से हड़ताल खत्म करने की रणनीति बना रही है
हड़ताल में शामिल मनरेगा अधिकारी कर्मचारी के पद को विलोपित किए जाने का प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है साथ ही हड़ताल वापसी की स्तिथि में मनरेगा कर्मचारियों से कभी भी हड़ताल में शामिल नहीं होने का बांड भरवाने की तैयारी है, जो संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है। प्रशासन के इस अलोकतांत्रिक तरीकों का हम विरोध करते हैं, हम मीडिया । के माध्यम से महासंघ यह बताना चाहता है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में विगत 10-15 सालों से कार्य कर छत्तीसगढ़ राज्य को कई बार देशभर में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान दिलाए है, अगर प्रशासन किसी भी अधिकारी कर्मचारी के पद को समाप्त करने । की अलोकतांत्रिक तरीका अपनाती है तो हम बता दे कि इसके विरोध में छत्तीसगढ़ मनरेगा में कार्य करने वाले 15000 कर्मचारियों ने 50 रुपए के स्टांप पेपर में अपना सामूहिक इस्तीफा तैयार कर रखे हैं। प्रशासन के रुख को देखते हुए जिसे आयुक्त महात्मा गांधी नरेगा को देने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी
छत्तीसगढ़ की आम जनता को हम बताना चाहते हैं कि देशभर में अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारियों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। कर्मचारी अल्प वेतन एवं कभी भी बर्खास्तगी के भय में कार्य कर रहे हैं। विगत वर्षों में हमारे3000 साथियों की सेवा समाप्ति की गई है अथवा भय के कारण नौकरी से त्याग पत्र दे चुके हैं। किंतु अब छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारी इस प्रशासनिक शोषण को अब नहीं सहेंगे