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सूरजपुर की घटना के बाद बलरामपुर जिले में कबाड़ खरीद पर रोक, घरों में जमा हुआ कबाड़

बलरामपुर रामानुजगंज में दीपावली के समय कबाड़ खरीदी पर रोक लगने से स्थानीय लोगों और मजदूरों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। साफ-सफाई के बाद घरों में जमा हुए कबाड़ को बेचने का अवसर न मिल पाने से लोग असुविधा में हैं। आमतौर पर, दीपावली के समय लोग पुराने और बेकार सामान जैसे टूटे हुए साइकिल, कुर्सी, किताबें, कार्टून,लोहे का सामान, आदि बेच देते हैं, जिससे घर में जगह साफ होती है और अतिरिक्त आय भी हो जाती है।



        सूरजपुर की घटना के प्रभाव

सूरजपुर में कबाड़ व्यवसायी से संबंधित घटना के बाद, एहतियातन रामानुजगंज में भी कबाड़ खरीदी पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, बलरामपुर जिले में सूरजपुर जैसी स्थिति नहीं है, और यहां अवैध कबाड़ कारोबार का बड़ा मुद्दा नहीं है। इसके बावजूद, रोक के चलते सैकड़ों परिवारों में कबाड़ जमा हो गया है, और इसे संभालने की परेशानी बढ़ गई है।

कार्टून, सीसी, किताब यही सब रहता है मुख्य कबाड़

दीपावली के साफ सफाई के बाद घरों से टूटा साइकिल कार्टून, सीसी किताब, टूटा कुर्सी सहित अन्य लोहा टीना का सामान निकलता है। कबाड़ के रूप में परंतु कबाड़ खरीदी बंद होने से यह सब अभी भी दीपावली में कचडा पड़ा हुआ है।



                 मजदूरों की समस्याएं

दीपावली के दौरान कबाड़ बेचने और खरीदने का काम उन मजदूरों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो सालभर इस अवसर का इंतजार करते हैं। कबाड़ इकट्ठा करने और बेचने से उन्हें रोज़मर्रा की कमाई हो जाती है, जिससे वे भी दीपावली की खुशियों का हिस्सा बनते हैं। कई मजदूर दीपावली पर कबाड़ बेचकर 500 से 2000 रुपये तक कमा लेते हैं, लेकिन इस बार उनके लिए यह आय का स्रोत बंद हो गया है, जिससे उनकी दीपावली फीकी पड़ने का खतरा है।

तो वही घर में और कई सार्वजनिक स्थान पर बोतल  कार्टून का अंबार लग चुका है

               प्रशासन से अपेक्षाएं

स्थानीय लोग और कबाड़ व्यवसाय से जुड़े मजदूर प्रशासन से अपेक्षा कर रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और दीपावली के अवसर पर अस्थायी रूप से कबाड़ खरीदी की अनुमति दें। इससे न केवल घरों में जमा कबाड़ को हटाने में मदद मिलेगी, बल्कि मजदूरों को आय का अवसर भी मिलेगा।

इस कदम से उन घरों में भी दीप जल सकेंगे जो इस आय के अभाव में दीपावली की खुशियों से वंचित हैं।

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