वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र का गोवर्धनपुर गांव इन दिनों अवैध लकड़ी तस्करों का अड्डा बन चुका है, जहां वन विभाग की टीम तस्करों पर नकेल कसने में विफल दिखाई दे रही है। इससे नाराज ग्रामीण अब वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगाने लगे हैं।
अवैध कटाई और तस्करी
गोवर्धनपुर ग्राम पंचायत में दिनदहाड़े बड़े पैमाने पर साल के पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। तस्करों द्वारा इन पेड़ों को पिकअप वाहनों में लादकर उत्तर प्रदेश की ओर भेजा जा रहा है। यह सब तब हो रहा है जब सीमावर्ती क्षेत्र में वनोपज नाका मौजूद है। इसके बावजूद, वन विभाग इन तस्करों को रोकने में असफल साबित हो रहा है।
खानापूर्ति वाली कार्यवाही
महीने में वन विभाग द्वारा सड़कों पर छोटी-मोटी कार्रवाई की जाती है, जो महज खानापूर्ति साबित होती है। जंगलों में जाकर अवैध पेड़ों की कटाई रोकने के लिए विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अब तक, एक भी तस्कर को पकड़कर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है।
ग्रामीणों का गुस्सा और आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की मिलीभगत के बिना इस स्तर पर तस्करी का कारोबार संभव नहीं है। विभाग की निष्क्रियता को देखते हुए लोग अब उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं। उनका मानना है कि बिना विभागीय सहयोग के इस तरह की तस्करी नहीं हो सकती।
अधिकारीयों की प्रतिक्रिया
जब इस मामले पर वन परिक्षेत्राधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। वहीं, SDO ने जल्द ही जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। अब देखने वाली बात यह होगी कि वन विभाग कब तक इस अवैध तस्करी और पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगा पाता है।
इस प्रकरण ने वन विभाग की कार्यशैली और तस्करों के बढ़ते प्रभाव पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं