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**बलरामपुर: 400 एकड़ सरकारी जमीन अवैध कब्जे से मुक्त, प्रशासन की ऐतिहासिक कार्रवाई**

**बलरामपुर, छत्तीसगढ़।**  बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामानुजगंज तहसील के महाबीरगंज गांव में प्रशासन ने दशकों से चले आ रहे अवैध कब्जों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। यह कार्रवाई 680 एकड़ सरकारी जमीन पर हुए अवैध कब्जे को लेकर की गई, जिसमें 400 एकड़ जमीन को कब्जाधारियों से मुक्त कराया गया। इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों ने लंबे समय तक धैर्यपूर्वक जांच की और अवैध कब्जाधारियों से सरकारी जमीन को वापस लेने में बड़ी सफलता हासिल की।



**अवैध कब्जे की पृष्ठभूमि: 1954-55 से चली आ रही गड़बड़ी**

महाबीरगंज गांव की 680 एकड़ सरकारी जमीन पर 1954-55 से ही ग्रामीणों ने अवैध कब्जा जमा रखा था। इस जमीन पर कब्जाधारियों ने घर बनाए हुए थे और कुछ ने खेती भी शुरू कर दी थी। यह मामला कई दशकों तक प्रशासन की नजर से बचा रहा, लेकिन 2020 के आसपास जब शिकायतें दर्ज कराई गईं, तब जाकर इस गंभीर अवैध कब्जे का खुलासा हुआ। स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कब्जाई गई यह जमीन कोयला खदान क्षेत्र में स्थित है, जिससे इसकी कीमत बहुत अधिक मानी जाती है। इसी वजह से यह जमीन अवैध कब्जाधारियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी।



**शिकायत और जांच प्रक्रिया की शुरुआत**

पूर्व कलेक्टर के कार्यकाल में इस अवैध कब्जे की शिकायत की गई थी, जिसके बाद कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लिया। प्रशासन ने इस विशाल जमीन पर कब्जे की जांच करने और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इसके लिए अपर कलेक्टर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। इस बीच कब्जाधारियों को नोटिस जारी किया गया और जमीन के दस्तावेजों की जांच शुरू की गई।



         **जांच में मिली भारी असंगतियां**

जांच के दौरान कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। कब्जाधारियों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में जमीन के सीरियल नंबर गलत थे, और कुछ जगहों पर स्याही का रंग अलग-अलग पाया गया। इसके अलावा, रिकॉर्ड की लिखावट में भी भिन्नता देखी गई। यह स्पष्ट हो गया कि इन अवैध कब्जों में पटवारियों की मिलीभगत रही होगी, जिन्होंने जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर किया।

हालांकि, प्रशासन के लिए एक बड़ी समस्या यह रही कि यह अवैध कब्जे 1954-55 से हो रहे थे, जिससे स्पष्ट रूप से यह तय करना मुश्किल हो गया कि किस पटवारी ने किस समय गड़बड़ी की थी। दस्तावेजों में मिली असंगतियों के बावजूद यह पता लगाना कठिन था कि कौन सा पटवारी जिम्मेदार था।

**वर्तमान अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन ने संभाली जांच**

पूर्व अपर कलेक्टर पैकरा की सेवानिवृत्ति के बाद, यह जिम्मेदारी वर्तमान अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन को सौंपी गई। उन्होंने इस मामले की विस्तृत जांच की और कब्जाधारियों से दावे और आपत्तियां मंगवाईं। लेकिन कब्जाधारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, जिससे जांच अधिकारी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर रिमूजियूस एक्का ने अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया।

**400 एकड़ जमीन कब्जे से मुक्त, शेष पर कार्रवाई जारी**

कलेक्टर के आदेश पर 680 एकड़ में से अब तक 400 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जा चुका है और इसे फिर से सरकारी दस्तावेजों में दर्ज किया गया है। आने वाले दिनों में बाकी 280 एकड़ जमीन को भी कब्जाधारियों से मुक्त कराने के लिए कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार की कार्रवाई न केवल बलरामपुर जिले में बल्कि पूरे राज्य में सबसे बड़ी मानी जा रही है।

     **कब्जाधारियों की मंशा: जमीन बेचने की तैयारी**

इस मामले की जांच में यह भी सामने आया कि कब्जाधारियों ने बड़े-बड़े रकबे पर कब्जा कर रखा था। कुछ कब्जाधारी 18-20 एकड़ तक की जमीन पर काबिज थे, जबकि सामान्यतः कब्जाधारी छोटे हिस्सों पर कब्जा करते हैं। यह जमीन कोयला खदान क्षेत्र में आती है, इसलिए इसकी कीमत बेहद ऊंची थी। कब्जाधारियों की मंशा थी कि इस जमीन को ऊंचे दाम पर बेचकर बड़ा मुनाफा कमाया जाए। लेकिन प्रशासन की त्वरित और कड़ी कार्रवाई ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया।

  **पटवारियों की भूमिका संदिग्ध, पर कार्रवाई मुश्किल**

जांच में यह स्पष्ट हो गया कि पटवारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा संभव नहीं था। हालांकि, प्रशासन के लिए यह स्पष्ट करना कठिन हो रहा है कि किस समय किस पटवारी ने रिकॉर्ड में हेरफेर की थी। इसके चलते पटवारियों पर सीधी कार्रवाई करने में प्रशासन असमर्थ है।

**जिन कब्जाधारियों से जमीन खाली कराई गई**

कलेक्टर रिमूजियूस एक्का के आदेश पर जिन लोगों से जमीन खाली कराई गई है, उनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

इसहाक पिता नान्हू मियां
– सागर पिता ठूपा
– खेलावन पिता घोवा
– गुलाम नबी पिता जसमुद्दीन
– मोइनुद्दीन पिता रहीम
– चांद मोहम्मद पिता कलम मियां
– मंगरी पिता मोहम्मद अली
– रसुलन पिता हुसैन मियां


ये सभी कब्जाधारी लंबे समय से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किए हुए थे, जिसे अब प्रशासन ने मुक्त कराया है।

         **प्रशासन का आगे का कदम**

प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शेष 280 एकड़ जमीन को भी जल्द से जल्द कब्जाधारियों से मुक्त कराकर सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा, इस मामले में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि भविष्य में इस तरह की अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

                   **निष्कर्ष**

बलरामपुर जिले में प्रशासन की सख्त कार्रवाई और अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ उठाए गए ऐतिहासिक कदम को दर्शाती है। सरकारी जमीन पर लंबे समय से चल रहे कब्जों को हटाना न केवल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती थी, बल्कि यह क्षेत्र में कानून व्यवस्था बहाल करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन की इस कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि अवैध कब्जे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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