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वन्यजीव संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष प्रबंधन में रामकोला हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका

छत्तीसगढ़ सरकार के मार्गदर्शन में राज्य में वन्यजीव संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा लगातार जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

सरगुजा क्षेत्र से प्रसारित ‘‘हमर हाथी हमर गोठ’’ जैसे रेडियो कार्यक्रमों द्वारा स्थानीय लोगों को हाथियों के विचरण की जानकारी दी जाती है, जिससे उन्हें हाथियों के नजदीक रहने के लिए सावधानी बरतने का मौका मिलता है। साथ ही, “गज यात्रा” अभियान और “गज संकेत एवं सजग एप” के माध्यम से हाथियों की गतिविधियों की जानकारी प्रदान की जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।छत्तीसगढ़ के तमोर पिंगला अभयारण्य के पास स्थित

**रामकोला हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र**

वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह केंद्र 2018 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की सैद्धांतिक सहमति से स्थापित किया गया था और 4.8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र हाथी पुनर्वास केंद्र है, जहां हाथियों की विशेष देखभाल और प्रबंधन किया जाता है।

छत्तीसगढ़ की लगभग 44% भूमि वनों से आच्छादित है, जो हाथियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनुकूल है। इस अनुकूल पर्यावरण के चलते राज्य में हाथियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत वृक्षारोपण और महिलाओं को महतारी वंदन योजना के तहत इस अभियान से जोड़कर वृक्षारोपण में भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

     **रामकोला केंद्र की स्थापना और प्रबंधन**

यह हाथी पुनर्वास केंद्र एलिफेंट रिजर्व सरगुजा के अंतर्गत संचालित होता है। वर्तमान में यहां तीन शावकों सहित कुल नौ हाथी निवासरत हैं। 2018 में कर्नाटक से पांच कुमकी हाथियों को महासमुंद के पासिद रेंज में एक अस्थायी कैंप में लाया गया था, जिन्हें बाद में रामकोला में स्थानांतरित किया गया। इन हाथियों की देखभाल और प्रबंधन कुशल महावतों और पशु चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हाथियों की देखभाल उच्चतम मानकों के अनुसार की जाए।

छत्तीसगढ़ के वन बल प्रमुख, वी. श्रीनिवास राव, के अनुसार यह केंद्र न केवल मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रशिक्षित कुमकी हाथी जंगली हाथियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और वन्यजीवों को रेडियो कॉलर लगाने में भी सहायता प्रदान करते हैं।

    **हाथी पुनर्वास केंद्र की उपलब्धियां**

रामकोला केंद्र ने कई जंगली हाथियों और अन्य वन्यजीवों का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया है। कोरबा वन मंडल और सरगुजा वन मंडल के जंगली हाथियों के अलावा, केंद्र के कुमकी हाथियों ने तेंदुए और बाघिन जैसे अन्य वन्यजीवों को भी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

केंद्र में हाथियों की देखभाल पशु चिकित्सा मानकों के अनुसार की जाती है, जिसमें नियमित टीकाकरण, परजीवी-रोधी उपचार और पोषण आहार का प्रावधान किया जाता है। इसके अलावा, हाथियों को जंगल में घुमाने और उनके प्राकृतिक व्यवहार को बनाए रखने की पूरी कोशिश की जाती है।

इस केंद्र में हाथी सोनू, जो अचानकमार टाइगर रिजर्व से लाया गया था, उसकी भी विशेष देखभाल की जाती है। सोनू अब अपने नए वातावरण में अच्छी तरह से ढल चुका है और नियमित स्वास्थ्य जांच के साथ सुरक्षित रखा जा रहा है।

                        **निष्कर्ष**

रामकोला हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों का एक प्रमुख हिस्सा है। यह न केवल हाथियों की देखभाल और पुनर्वास में अहम भूमिका निभाता है, बल्कि राज्य में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में भी योगदान दे रहा है। केंद्र के कुमकी हाथी जंगली हाथियों के आक्रामक व्यवहार को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न बचाव अभियानों में भी हिस्सा लेते हैं।

राज्य सरकार और वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे इन प्रयासों से न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों के बीच सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा मिलता है।

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