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सर्पदंश से पंडो बालिका की मौत, रामचंद्रपुर पीएचसी और रामानुजगंज सीएचसी में नहीं मिली एंबुलेंस

छत्तीसगढ़ के रामचंद्रपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत भीतरचुरा के धनवार में एक दर्दनाक घटना हुई, जिसमें जंगल में मवेशी चराने गई एक नाबालिग पंडो बालिका की सर्पदंश से मौत हो गई। घटना के अनुसार, जंगल में गाय और बकरी चराते समय बालिका को एक जहरीले सांप ने काट लिया। उसने तुरंत अपने भाई देवनारायण पंडो को फोन कर इसकी जानकारी दी। भाई मौके पर पहुंचा और बहन के पैर पर सर्पदंश के निशान देखकर उसे पैदल घर लेकर आया।



इसके बाद, वे बाइक से रामचंद्रपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को रेफर कर दिया गया, लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। मजबूरन, परिजनों ने निजी वाहन बुक कर रामानुजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक यात्रा की। रामानुजगंज में बच्ची की हालत गंभीर हो गई, और उसे बलरामपुर जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन यहां भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी।

परिजन किसी तरह से चारपहिया वाहन का इंतजाम कर बलरामपुर के लिए रवाना हुए, लेकिन दुर्भाग्यवश, रास्ते में ही नाबालिग पंडो बालिका ने दम तोड़ दिया।



        **मृतिका के भाई देवनारायण पंडो**

ने बताया, “कल बुधवार को मेरी बहन गाय-बकरी चराने जंगल गई थी। दोपहर करीब दो बजे उसे सांप ने काट लिया, जिसके बाद उसने मुझे फोन किया। मैं तुरंत उसके पास पहुंचा और देखा कि उसके पैर में सर्पदंश के निशान थे। मैं उसे बाइक से रामचंद्रपुर अस्पताल लेकर गया, वहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे रेफर कर दिया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। हमने निजी वाहन बुक कर रामानुजगंज अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां उसकी हालत गंभीर हो गई। वहां से भी रेफर किया गया, लेकिन एंबुलेंस फिर नहीं मिली, और किराए के वाहन से बलरामपुर ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।”

यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में जिला प्रशासन सहित खेड़ा सरकार विशेष पिछली जनजाति पंडित के लिए क्या रणनीति बनाती है क्योंकि इस तरीके से जिले में लगातार पंडित की मौत की खबरें आ रही है जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग घोर लापरवाही सामने आ रही है

आपको बता दूं कि कुछ दिन पहले ही संभागीय संयुक्त संचालक अनिल कुमार शुक्ला सरगुजा संभाग के पहुंचे हुए थे वह भी खानापूर्ति कर जिले से वापस लौट गए लेकिन जो मूलभूत सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग की होती है शायद उनके नज़रों में नहीं आ पाई जिले में एंबुलेंस सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की  व्यवस्था नही हे

    **बिना लाइसेंस के चिकित्सालय संचालित**

बिना लाइसेंस के चिकित्सालय संचालित हो रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा केवल खानापूर्ति करते हुए सिर्फ नोटिस जारी किया जा रहा है सरगुजा संभाग का यह जिला आती पिछली जनजातियों के लिए जाना जाता है जनजाति फर्जी डॉक्टरों का इलाज करवा कर मौत के गाल में जा रहे हैं वहीं इस क्षेत्र में फर्जी तरीके से डॉक्टर बन लोगों का इलाज करते हैं जिसका नतीजा आज लगातार पंडो जनजाति की मौत से सामने आ रहा है

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