बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड के दूरवर्ती गांव उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे ग्राम पंचायत त्रिशूली के 5 पारा के 100 से अधिक घरों के लोग आजादी के 72 साल बाद भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं आज भी यहां बिजली सपना बना हुआ है गांव के जनप्रतिनिधियों ने कई बार यहां बिजली नहीं पहुचने की समस्या से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया परंतु आज तक यहां बिजली नहीं पहुंच पाया है। गौरतलब है कि एक ओर हम जहां 21वीं सदी की भारत की बात करते हो वहीं दूसरी ओर रामचंद्रपुर विकासखंड का एक गांव त्रिशूली में ऐसा है की यहा के 5 पारा के 100 से अधिक घरों तक बिजली तक नहीं पहुंच पाया है स्थिति यहा ऐसी रहती है कि शाम होते के साथ ही पूरा मोहल्ला अंधकार में डूब जाता है बिजली नहीं पहुचने से यहां कई प्रकार की समस्याएं लोगों को रहती है सबसे ज्यादा तो परेशानी बरसात के समय में होती है लाइट नहीं रहने के कारण सर्पदंश की घटनाएं यहां होती रहती है। 2 दिन पूर्व ही एक व्यक्ति की सर्पदंश से मृत्यु हो गई थी यदि यहां बिजली आया रहता तो ऐसी घटना यहां नहीं घटती।
इन पारा में नहीं पहुंची है बिजली—– ग्राम पंचायत त्रिशूली के भुइंडीह, हरिजन पारा, खजुआही पारा डुमहरियापारा,करवनिया पारा में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है आज भी यहां के लोगों के लिए बिजली सपने के समान है।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों है बिजली से मरहूम……. ग्राम पंचायत के उत्तर की ओर बड़ी जनसंख्या राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति के लोगों की है यहां भी बिजली नहीं पहुंच पाया है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के लिए भी बिजली का इंतजार एक सपने के समान ही है।
पोल गाड़ कर तार एवं ट्रांसफॉर्मर लगाना भुला विभाग.यहां के कुछ पारा में विद्युत के लिए खंभे 12 सालो से गाड़ दिए गए थे परंतु तार लगाना व ट्रांसफार्मर की व्यवस्था नही हो पाई। परंतु उनकी खुशी अब सिर्फ इंतजार में बदल गई है। एक ओर इस ग्राम पंचायत की बड़ी आबादी आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर है वही लालटेन भी इन लोगों को धोखा देता है महीने में 1 लीटर ही मिट्टी तेल मिलता है ऐसे में 8-10 दिन से ज्यादा मट्टी तेल नहीं चल पाता है जिसके बाद वे जैसे-तैसे लाइट की व्यवस्था कर पाते हैं।
वही कुछ ग्रामीणों ने कहा कि बिजली के लिए दस्तावेज जमा करके के साथ बिजली बिल आना प्रारंभ हो गया परंतु बिजली नहीं पहुंची