बलरामपुर जिले के विकासखड राजपुर के गांव सिधमा के रहने वाले भगवानदास कुशवाहा पिछले 40 वर्षों से कृषि, बागवानी एवं पशुपालन करते हैं। समय के साथ कृषि व पशुपालन के क्षेत्र में आये बदलाव तथा उन्नत तकनीक को स्वीकार कर भगवानदास ने एक सफल कृषक व पशुपालक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। भगवानदास कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के माध्यम से नस्ल सुधार कर वर्तमान में पशुपालन से प्रतिमाह लगभग 20 हजार की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। 73 वर्षीय ऊर्जावान भगवानदास मुस्कुराते हुए बताते हैं कि सन् 1988 में कृत्रिम गर्भाधान उपकेन्द्र सिधमा में पदस्थ सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी श्री हरिन्द्रनाथ पैंकरा ने कृत्रिम गर्भाधान तकनीक एवं इसके फायदे के बारे में विस्तार से बताया। जिससे उत्साहित होकर अपनी गायों को उन्नत नस्ल के पशु वीर्य द्वारा कृत्रिम गर्भाधान करवाने लगा परिणामस्वरूप मुझे उन्नत नस्ल के वत्स मिले। मैंने उन्नत नस्ल के नर वत्सों को एक से दो वर्षाें तक पालने के बाद विक्रय किया, जिससे मुझे अच्छी आमदनी हुई थी।
पिछले 40 वर्षाें से पशुपालन कर रहे भगवानदास के पास पहले संकर हरियाणा नस्ल की दो गायें थी, जिससे उन्हें औसतन 2-3 लीटर प्रति गाय के हिसाब से दूध मिल जाता था। कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न मादा वत्सों को पालते हुये वयस्क होने पर पुनः कृत्रिम गर्भाधान पद्धति से गर्भाधान करवाया, जिससे बछिया गाय बनी। इन गायों से उन्हें 8-9 लीटर प्रतिदिन प्रति गाय के हिसाब से अधिक दूध मिलने लगा। कृत्रिम गर्भाधान का परिणाम देख कर उत्साहित हुए भगवानदास तब से अब तक कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के माध्यम से जन्मे 10 बछड़ा एवं 04 नग बछिया का विक्रय कर चुके हैं। वर्तमान में भगवानदास के पास संकर साहीवाल एवं संकर गिर नस्ल की 01-01 गाय तथा संकर एच.एफ. नस्ल की दो गाय और उन्नत नस्ल के 02 बछड़ा एवं 02 बछिया है। वर्तमान में भगवानदास को तीन गायों से औसतन 24-25 लीटर दूध प्रतिदिन प्राप्त हो रहा है तथा इसके विक्रय से उन्हें लगभग 20 हजार रुपये प्रतिमाह आमदनी प्राप्त हो रही है।