रेत की अवैध उत्खनन एवं परिवहन से ग्रामीण सड़कों का अस्तित्व खतरे में खनिज विभाग कर रही है खानापूर्ति
रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के कारण सड़कें हुई जर्जर, खनिज विभाग की मिलीभगत से चल रहा कारोबार, ग्रामीणों के आक्रोश के बाद भी संलिप्त वाहनों पर कार्यवाही करने से बच रहे खनिज अधिकारी
रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के कारण रामानुजगंज क्षेत्र एवं सनावल क्षेत्र में करीब 60 करोड़ से अधिक लागत से बनी लोक निर्माण विभाग की सड़क, प्रधानमंत्री सड़क, मुख्यमंत्री सड़क के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है। धीरे धीरे सड़कों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। चिनियां के समीप अवैध रूप से रेत के ओवरलोड परिवहन से डामरीकरण सड़क का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। जिसे लेकर एनएसयूआई जिला अध्यक्ष अभिषेक सिंह एवं जनपद सदस्य व्यास मुनि यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने ओवरलोड रेत से भरी 70 से अधिक ट्रकों को रोक दिया, जिसकी सूचना पर मौके पर विजयनगर चौकी प्रभारी विनोद पासवान दल बल के साथ पहुंचे। वहीं सूचना के घंटों बाद खनिज विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे परंतु कार्यवाही में आनाकानी करने से ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया। गौरतलब है कि ग्राम फुलवार कन्हर नदी में बिना रेत घाट स्वीकृति व एनजीटी के रोक के बाद भी 2 पोकलेन मशीन, 5 जेसीबी एवं 100 से अधिक ट्रक यहां अवैध रेत उत्खनन में संलग्न है। स्थिति ऐसी है कि ग्रामीण सड़क की स्थिति ट्रकों के चलने से अत्यंत जर्जर हो गई है वहीं नदी के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है। सनावल क्षेत्र में पांगन नदी एवं रामानुजगंज क्षेत्र में कन्हर नदी में अवैध रेत उत्खनन एवं परिवहन से 60 करोड़ से अधिक की लागत से बनी सड़कों के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होने लगा है सड़कों की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। लोक निर्माण विभाग के द्वारा एलडब्ल्यूई योजना अंतर्गत लुर्गी रामचंद्रपुर एवं सनावल मार्ग 48 करोड़ रुपए लागत से बनाया गया था। यह सड़क बहुत अच्छी थी परंतु जब से इसमें से होकर ओवरलोड रेत ट्रक चल रही है तब से ही रोड की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। वहीं हरिहरपुर प्रधानमंत्री सड़क, चिनियां महावीरगंज लोक निर्माण विभाग की सड़क सनावल क्षेत्र की आधा दर्जन से अधिक सड़क की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। अभी भी समय रहते इस पर सख्ती से रोक नहीं लगती है तो आने वाले समय में यह सभी सड़कें चलने लायक नहीं रहेंगीं। खराब हो रही सड़कों की स्थिति को देखते हुए ग्रामीण द्वारा रेत से भरी 70 से अधिक ट्रकों को रोक दिया गया। सूचना पर मौके पर विजय नगर चौकी प्रभारी विनोद पासवान पहुंचे। वहीं खनिज विभाग के अधिकारी सूचना के घंटों बाद मौके पर पहुंचे परंतु कार्यवाही में आनाकानी करने से ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया।
खनिज विभाग की भूमिका संदिग्ध –
करीब 1 सप्ताह पूर्व पुलिस अधीक्षक के सख्त निर्देश के बाद खनिज विभाग फुलवार में पहुंचने की जहमत उठाई थी, जहां कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति की गई। खनिज इस्पेक्टर जहां मौके पर गए थे और वहां पर वे बैठकर अन्य गाड़ियों पर कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति में लगे थे। वहीं पर रेत का अवैध भंडारण था परंतु उनकी नजर रेत के अवैध भंडारण पर नहीं पड़ी, जिससे खनिज विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
खनिज विभाग की मिलीभगत से चल रहा रेत का अवैध कारोबार –
जिस प्रकार से क्षेत्र में खनिज संपदा की लूट हो रही है, वह निश्चित रूप से खनिज विभाग के बिना मिलीभगत से संभव नहीं है। क्योंकि जितनी भी ट्रक हैं, सभी रेत लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों तक जाती है। जहां उन्हें जाने के लिए खनिज विभाग के पीट पास की जरूरत होती है। यह खनिज विभाग ही उन्हें उपलब्ध कराता है। ऐसे में स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि खनिज विभाग की किस प्रकार से रेत माफियाओं के साथ मिलीभगत है।
30 हजार प्रति ट्रक वसूल रहे रेत माफिया, 30 लाख प्रतिदिन हो रहा रेत का अवैध कारोबार –
प्रतिदिन फुलवार से करीब 100 से अधिक ट्रक से रेत का अवैध परिवहन हो रहा है जिससे प्रतिदिन रेत माफिया 30 लाख रूपए की अवैध कमाई कर रहे हैं। रेत माफिया एक ट्रक रेत रूपए 30,000 में बेच रहे हैं, जिसे उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों तक 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की बिक्री की जाती है।
सूचना के घंटों बाद पहुंचे खनिज अधिकारी, कार्यवाही में आनाकानी, ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सूचना के घंटों बाद खनिज अधिकारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान 100 ट्रक पांच जेसीबी दो पोकलेन मशीन थी, परंतु कार्यवाही के नाम पर खनिज विभाग के अधिकारी के द्वारा आनाकानी की जा रही थी। बहरहाल देखना यह है कि खनिज विभाग कितने ट्रकों पर कार्यवाही करता है।