बलरामपुर

खाद्य निरीक्षक सरोज ने अपने काम से बनाई अपनी पहचान, बैशाखी के सहारे चलने वाली सरोज के हौसले को नहीं है बैशाखी की जरूरत

दिव्यांग शब्द सुनते ही एक सामान्य धारणा है कि वह व्यक्ति अपनी शारीरिक स्थिति के कारण कमजोर या असहाय होता है। ऐसी स्थिति में हम उसके प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण रखते हैं, लेकिन इसी समाज में कई ऐसे दिव्यांग हैं जिन्होंने अपने कार्य, इच्छा शक्ति व सफलता से सहानुभूति जैसे शब्दों को बौना साबित कर बराबरी का स्थान हासिल किया है। विकासखण्ड वाड्रफनगर में खाद्य निरीक्षक के तौर पर पदस्थ सरोज उरेती ऐसी ही दिव्यांग शासकीय सेवक हैं जिन्होंने उन सभी धारणाओं को गलत साबित किया है, जिसमें दिव्यांगों को कमतर आंका जाता है। 32 वर्षीय सरोज अपने काम और दायित्व को लेकर इतनी संवेदनशील है कि धान खरीदी को लेकर लगातार अधिकारियों के साथ क्षेत्रों का दौरा करती है ताकि अवैध धान पर कार्यवाही की जा सके। धान खरीदी शासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है तथा राज्य स्तर पर इसकी सतत् समीक्षा की जा रही है। ऐसे में सरोज जैसी अधिकारी के काम की जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम है। कहते है आत्मविश्वास ही सफलता की जननी होती है, सरोज का आत्मविश्वास ही उसे अपने काम के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनाता है। सरोज बैशाखी के सहारे चलती है किन्तु उसके हौसले को बैशाखी की जरूरत नहीं है।
वाड्रफनगर एक ऐसा विकासखण्ड है जिसकी सीमा उत्तरप्रदेश से लगने के कारण धान के अवैध परिवहन की संभावना बनी रहती है। सरोज चेकपोस्ट से लेकर अंदरूनी इलाकों का दौरा कर अवैध धान के भण्डारण और परिवहन पर कार्यवाही करती हैं। 2012 से शासकीय सेवा में आयी सरोज अक्टूबर 2019 से वाड्रफनगर में बतौर खाद्य निरीक्षक अपनी सेवाएं दें रही हैं। सरोज बताती हैं कि 2019 में धान खरीदी के दौरान अवैध धान के 45 प्रकरणों पर कार्यवाही की थी तथा इस वर्ष भी अब तक 19 प्रकरणों पर कार्यवाही करते हुए लगभग 500 क्ंिवटल धान जप्त किया है। पूर्व में पदस्थ रहे अधिकारियों ने भी सरोज के काम के सराहना करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया था। वाड्रफनगर के एसडीएम श्री विशाल महाराणा बताते हैं कि सरोज ऐसी अधिकारी है जो अपने जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटती बल्कि पूरे उत्साह के साथ अपना काम करती है। पिछले दिनों हुई एक कार्यवाही का जिक्र करते हुए वाड्रफनगर एसडीएम बताते हैं कि हमारे बुलाने पर वह तत्काल पहुंचने के साथ-साथ पूरी कार्यवाही में हम सभी का सहयोग किया। सरोज के सहयोग से ही अवैध धान पर कार्यवाही में हमें सबसे अधिक मदद मिल रही है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सरोज अनेक लोगों के लिए प्रेरणादायी है तथा उसने अपने काम से अपनी पहचान बनाई है।

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