राजपुर। तहसील अधिवक्ता संघ ने महामहिम राज्यपाल के नाम किया ज्ञापन सौप अधिवक्ता सुरक्षा कानून लागू करने सहित भ्रष्टाचार दूर करने की मांग की है।
राजपुर में तहसील अधिवक्ता संघ ने आम सभा में अधिवक्ताओं ने प्रतिष्ठा पूर्व व्यवसायिक गरिमा और उसके छवि को धूमिल किए जाने के आशय से राजस्व अधिकारी व पदस्थ कर्मचारियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर कार्यवाही संपन्न किए जाने के दौरान रायगढ़ अधिवक्ता संघ के सदस्यों द्वारा तलाशी के संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज कराए जाने के समय पीठासीन अधिकारी अनिल अग्रवाल और उनके अधीनस्थ सहयोगियों द्वारा अधिवक्ताओं के विद्वान व्यवसायिक गरिमा और प्रतिष्ठा के विपरीत अभद्रता पूर्वक व्यवहार करते हुए परिसर के अंदर मारपीट की जिसके संबंध में षडयंत्र पूर्वक अपने भ्रष्टाचार पूर्ण कृत्यों को छिपाने के आशय से अधिवक्ता संघ के सदस्यों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कराया और पीड़ित अधिवक्ताओं के द्वारा कथित प्रशासनिक अधिकारी व अन्य उनके सहयोगी कर्मचारियों के विरुद्ध उनके आपराधिक कृत्यों के संबंध में लिखा गया रिपोर्ट पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही संपन्न न किए जाने से तहसील अधिवक्ता संघ राजपुर के अधिवक्तागण भी पूरी तरह से व्यथित हैं जिससे अनिश्चितकाल तक राजस्व न्यायालयों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया है।
अधिवक्ता संघ द्वारा गंभीर प्रश्न अंकित भ्रष्टाचार के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि जब तक राजस्व न्यायालय में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया जाता उस संबंध में कोई कठोर कार्यवाही नहीं की जाती और प्रदेश की सरकार इस संबंध में सकारात्मक निर्णय नहीं ले लेती है तथा अधिवक्ता संघ रायगढ़ के अधिवक्ताओं के विरुद्ध अपने व्यवसायिक कार्य के संपादन के दौरान उनके साथ मारपीट कर उन्हीं के विरुद्ध षडयंत्र पूर्वक झूठे मामले में फंसा दिए जाने और अधिवक्ताओं के साथ हुए अपराध के संबंध में अपराध पंजीबद्ध न किए जाने के परिणाम स्वरूप भ्रष्टाचारी अधिकारियों कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है ।ऐसी स्थिति में जब तक निर्दोष अधिवक्ताओं के विरुद्ध दर्ज मामले वापस नहीं ले लिए जाते और दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध नहीं किया जाता है तब तक अधिवक्ता समुदाय राजस्व न्यायालयों में स्वयं को न्यायिक प्रक्रिया में उपस्थित रख पाने में असहाय और असमर्थ महसूस कर रहा है जिस कारण से राजस्व न्यायालय में उपस्थित होकर पैरवी नहीं करने का निर्णय अधिवक्ता संघ के द्वारा लिए गए निर्णय के समर्थन में तहसील अधिवक्ता संघ द्वारा लिया गया है।
ज्ञापन में तहसील अधिवक्ता संघ ने मांग की है कि न्यायालय प्रक्रियाओं से संबंधित कार्यवाही को संपन्न करने के लिए पीठासीन अधिकारी को पदस्थ किया जावे जिनके पास विधि की डिग्री हो और कानून का ज्ञान हो, 2 वर्ष से अधिक समय अवधि से पदस्थ समस्त राजस्व अधिकारी और तृतीय वर्ग कर्मचारी को जो की एक स्थल पर बने हुए हैं इनका स्थान्तरण संभाग के भीतर आवश्यक रूप से किया जावे ताकि अराजकता उत्पन्न न हो सिटीजन चार्टर के अनुसार समय अवधि के अंदर प्रकरणों का निपटारा किया जावे और वे अधिकारी जो प्रकरण का समय अवधि के भीतर निपटारा नहीं कर रहे हैं उन्हें आर्थिक दंड से दंडित किया जाए व विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। किसी भी ऐसे अधिकारी की पदस्थापना न्यायिक कार्यवाही हेतु न की जाए जिसके ऊपर कोई अपराध पंजीबद्ध या विचाराधीन थे,राजस्व न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किए जाने के उपरांत जानबूझकर तत्काल प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किए जाने की परंपरा समाप्त कराई जावे और पंजीयन के लिए एक निश्चित समय अवधि रखी जावे नियमानुसार प्रकरणों का पंजीयन किया जावे अवैध वसूली के लिए लंबित रखे गए प्रकरणों की जांच की जावे।
इस दौरान संघ के अध्यक्ष जयगोपाल अग्रवाल, सचिव सुनील सिंह, उपाध्यक्ष उमेश झा,व शिवानंद दुबे, जितेंद्र गुप्ता,विपिन जायसवाल,रामनारायण जयसवाल,लालमोहन दास,अशोक बेक, शंकर कुमार,सुनील चौबे,सुरेश पाल,अजीत तिग्गा, डब्लू नागे,दिनेश सिंह, गंभीरा रवि,सुषमा शुक्ला,पायल जायसवाल, व अन्य अधिवक्तागण उपस्थित थे।