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विद्यार्जन हो या धनअर्जन बगैर मेहनत के सफलता नही मिलती,,,रेशमा बैरागी…

राजपुर।
       जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्रीमती रेशमा बैरागी ने आज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परसागुडी,एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बुढा बगीचा के छात्राओं को विधिक जानकारी देते हुए कहा कि बगैर मेहनत के सफलता नहीं मिलती है,चाहे आप विद्यार्जन कर रहे हो या धनअर्जन के लिए काम कर रहे हो आपको मेहनत करना ही पड़ेगा शॉर्टकट से न तो सफलता मिलती है और ना ही पैसे मिलते हैं।


       जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला स्तर पर काम करता है इसके अलावा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी विधिक सेवा प्राधिकरण काम कर रहे हैं यदि कोई व्यक्ति जो मुकदमा लड़ना चाहता है उसके सामने कोई समस्या है तो भी व्यक्ति न्याय पाने के लिए अगर न्यायालय तक आता है तो उसे निराश नहीं होना पड़ेगा। विधिक सेवा प्राधिकरण महिलाओं बच्चों अनुसूचित जाति जनजाति व गरीब वर्ग के लोगों को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराती है इसके अलावा दंगा पीड़ित बाढ़ पीड़ित या अन्य संकट ग्रस्त व्यक्ति को भी विधिक सहायता मुहैया कराने का प्रावधान है। जेलों में निरुद्ध बंदी जो स्वयं के लिए अधिवक्ता नहीं रख पाते उन्हें भी विधिक सेवा प्राधिकरण अधिवक्ता मुहैया कराती है। किसी भी तरह के मामले को लेकर के अगर कोई व्यक्ति वकील रखने में अधिवक्ता नियुक्त करने में सक्षम नहीं है तो देशभर में विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अच्छे वकीलों की सेवाएं ऐसे लोगों को जो कि गरीब महिला बालक किसी प्रकार के हिंसा से पीड़ित हैं या जिनकी आय ₹-100000/00 वार्षिक से कम है उन्हें अधिवक्ता मुहैया कराया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर नालसा राज्य स्तर पर सालसा जिला स्तर पर डालसा और तहसील स्तर पर तालुका विधिक सेवा समिति गठित की गई हैं जिनके माध्यम से विधिक सेवाएं आम लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं।तालुका विधिक सेवा समिति व्यवहार न्यायालय तहसील स्तर पर स्थापित की गई है जहां विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से नियुक्त प्रति धारक अधिवक्ता उपस्थित रहते हैं जो ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन अपनी सेवाएं देते हैं इसके अलावा चलानी मामलों में जिनमें पुलिस किसी भी आरोपी के विरुद्ध रिमांड प्रस्तुत करती है उन मामलों में रिमांड अधिवक्ता भी नियुक्त होते हैं जो ऐसे लोगों के लिए न्यायालय में आरोपी गण की ओर से निशुल्क सेवा देने हेतु नियुक्त किए जाते हैं।
        आगे कानूनी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बालक बालिकाओं को वाहन चलाने की मनाही है 18 वर्ष के पश्चात ही मोटर ड्राइविंग लाइसेंस कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है और उसके बाद ही उसे वाहन चलाने की अनुमति होती है बगैर लाइसेंस के या वाहन चालन अनुज्ञप्ति के अगर कोई मोटरसाइकिल चलाता है तो उसके विरुद्ध मोटर यान अधिनियम के तहत कार्यवाही होती है।जिन मामलों में वाहन का बीमा नहीं होता है,उसमें मुआवजा प्राप्ति के मामलों में वाहन स्वामी को दुर्घटना की दशा में मुआवजे की भरपाई करनी पड़ती है। बीमा के शर्तो का उल्लंघन करने वाले वाहन स्वामी को भी बीमा क्लेम नहीं मिल सकता है और ऐसे मामलों में भी वाहन स्वामी को मुआवजे की भरपाई करनी पड़ती है। न्यायाधीश श्रीमती रेशमा बैरागी ने इसके अलावा बालकों के लैंगिक संरक्षण अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, महिलाओं के अधिकार, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी दी।
शिविर में अधिवक्ता संघ के सचिव सुनील सिंह ने मौलिक अधिकार व कर्तव्यों के बारे में बताया और कहा कि किसी दूसरे के अधिकारों में अतिक्रमण ही सामान्य ढंग से कहा जाए तो अपराध है इसलिए हमें दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन करना चाहिए, कर्तव्य पालन में हमें कोताही नहीं बरतनी चाहिए कर्तव्य पालन ना कर के हम जाने-अनजाने में अपराधी करते हैं इसलिए संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने के अलावा सामाजिक जीवन में नैतिकता के मानदंडों का भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध होकर पालन करना चाहिए।


       छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना अधिनियम लागू है किसी भी व्यक्ति को तो उन्हीं के रूप में चिन्ह अंकित करना अपराध है या फिर अगर कोई व्यक्ति स्वयं को झाड़-फूंक करने वाला ओझा बैगा बताता है वह भी अपराध है ऐसे मामले में अगर कोई इस तरह का अपराध करता है तो वह दंड का भागीदार होगा छत्तीसगढ़ में अधिनियम वर्ष 2005 से समूचे छत्तीसगढ़ पर प्रभाव शील है।
विद्यालयों में उपस्थित जिज्ञासु छात्रों द्वारा पूछे गए कई सवालों का जवाब भी न्यायाधीश श्रीमती रेशमा बैरागी द्वारा दिया गया।इस अवसर पर प्रतिधारक अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता परसागुड़ी विद्यालय के प्राचार्य मो.एकलाख व अन्य शिक्षक तथा उत्तर माध्यमिक विद्यालय बुढा बगीचा राजपुर के प्राचार्य वीरेंद्र टोप्पो व अन्य शिक्षक विद्यालय के स्टाफ भी मौजूद थे।

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