भू माफियाओं का शिकार हुआ बुजुर्ग गय जेल “खसरा न0 4/11पर हो सक्ति बेनामी अंतरण के तहत हो सकती है कार्यवाही”
जी हां हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले के रामानुजगंज वार्ड क्रमांक 01भू माफियाओं के द्वारा कूट रचना कर 25 साल पहले मरे व्यक्ति के जमीन का रजिस्ट्री रामानुजगंज के ही रहने वाले 2 लोगों के नाम करवाया गया भू माफिया का गरीब असहाय बुजुर्ग व्यक्ति हुआ शिकार ।
10000 के लालच में इन भू माफियाओं के चक्कर में आकर अपने आप को गहनी आत्मज टुक्की बता बैठा पुलिस ने इन्हें विभिन्न धाराओं के तहत जेल भी भेजा दिया है
वही शहर में चर्चा है कि कोई भी व्यक्ति अगर अचल संपत्ति खरीदने जाता है उस संपत्ति के अड़ोस पड़ोस में रहने वालों से जरूर पूछ -ताछ करता है तो क्या दोनों क्रेताओं ने पूछ -ताछ किया
क्रेता01 -मुन्ना नागवंशी पिता तुलसी नागवंशी जी वार्ड नंबर 3 के पार्षद भी रह चुके हैं रामानुजगंज के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है आखिर इतनी बड़ी संपत्ति खरीदने से पहले कोई भी जांच-पड़ताल कैसे नहीं किया पूर्व पार्षद महोदय ने
क्रेता02-राधा सिंह पति बहादुर सिंह निवासी वार्ड क्रमांक 1 रामानुजगंज के निवासी हैं इन्होंने भी अड़ोस पड़ोस मैं पूछना वाजिब नहीं समझा
बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के जी ने मामले की गंभीरता को देखते स्वयं संज्ञान लेते हुए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्य टीम गठित की गई है जांच उपरांत जो भी तथ्य सामने आएंगे उस पर कार्रवाई की जाएगी
खसरा नंबर 4 /11 पर बेनामी अंतरण के तहत हो सकती है कार्रवाई
भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बेनामी लेनदेन का निषेध करता है। यह पहली बार 1988 में पारित हुआ तथा 2016 में इसमें संशोधन किया गया। संशोधित कानून 01नवम्बर, 2016 से लागू हो गया। संशोधित बिल में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है। साथ ही, जुर्माने के साथ कैद का भी प्रावधान है। भारत में काले धन की बढ़ती समस्या को खत्म करने की दिशा में यह एक और कदम है।
बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988
The Benami Transactions (Prohibition) Act, 1988
An Act to prohibit benami transactions and the right to recover property held benami and for matters connected therewith or incidental thereto.
Act No. 45 of 1988( AMENDMENT TO THE BENAMI TRANSACTIONS (PROHIBITION) ACT, 1988″. मूल से 12 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-09-09)
द्वारा अधिनियमित भारतीयसंसद
शुरूआत-तिथि 19 May 1988
मूल अधिनियम में बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। संशोधित कानून के तहत सजा की अवधि बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर सम्पत्ति की देना पड़ सकता है। नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर (रियल एस्टेट )सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है।
कोई भी ऐसी रियल स्टेट की ऐसी संपत्ति जो मृत व्यक्ति के नाम से पाई जाती है जिसका कोई भी वारिस नही होता है उस संपत्ति पर शासन के द्वारा बेनामी अंतरण के तहत कार्रवाई की जाती है ओर रियल एस्टेट की संपत्ति को जप्त कर लेते है
बरहाल अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में 3 सदस्य टीम क्या रिपोर्ट देते हैं उसका सबको इंतजार रहेगा