छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विभाग में संविदा पर अफसरों को तैनात करने का कोई नियम नहीं है। धीरे-धीरे हालत यह होती जा रही है कि विभाग के सभी प्रमुख पदों पर केवल संविदा पर तैनात होने वाले अफसर देखने को मिलेंगे। जो अभियंता सेवा में हैं और उन्हें इन पदों पर प्रोन्नति मिलनी चाहिए उन्हें प्रोन्नति न देकर मनमाने तरीके से रिटायर्ड अफसरों को संविदा पर रखकर उनसे काम लिया जा रहा है।
इस तरह से विभाग के जिम्मेदार अधिकारी राज्य शासन को राजस्व का भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे अभियंताओं की कमी होने का बहाना बनाया जाता है। पर वस्तुत: ऐसा नहीं है। वर्ष 2001 में भी विभाग में इसी तरह की समस्या उत्पन्न हुई थी किन्तु उस समय किसी को संविदा पर नहीं रखा गया था।
जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता के कार्यालय में अधीक्षक अभियंता के तीन पद स्वीकृत हैं। इनमें एक पद अधीक्षण अभियंता प्रशासन, दूसर अधीक्षण अभियंता रूपांकन और तीसरा अधीक्षण अभियंता बोधि का है। इन तीनों पदों के सापेक्ष सात रिटायर्ड अभियंताओं को संविदा पर रखा गया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि संविदा पर अफसरों को रखने का किस तरह से दबाव है। नियमावली के मुताबिक संविदा पर रखे जाने वाले अफसरों को शासकीय वाहन अलॉट नहीं किया जा सकता है किन्तु यहां इस नियम की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
एक ही बैच के अफसरों को मिल रही संविदा नियुक्ति
एक ही बैच के अफसरों को मिल रही संविदा
विभागीय सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग में जिन रिटायर्ड अफसरों को संविदा पर रखा जा रहा है वे सभी एक ही बैच के हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि संविदा पर अफसरों को रखे जाने में भी किस तरह से साजिश की जा रही है। रिक्त पदों पर संविदा पर अफसरों को पदस्थ कर काम लेने से सेवा में कार्य कर रहे अभियंताओं में आक्रोश पनप रहा है।