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महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न दिलाने माली समाज का शंखनाद, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न दिलाने माली समाज का शंखनाद, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन



शामली से दिल्ली तक पदयात्रा और आंदोलन का आयोजन
26 नवंबर 2024 को उत्तर प्रदेश के शामली जिले से माली समाज ने महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की मांग को लेकर एक ऐतिहासिक पदयात्रा प्रारंभ की। यह यात्रा 30 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर संपन्न हुई, जहां राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।

      आम सभा और अतिथियों का संबोधन
जंतर-मंतर पर आयोजित आम सभा में कई प्रमुख हस्तियों और समाजसेवियों ने भाग लिया।



कैबिनेट मंत्री जितिन राम मांझी ने वीडियो कॉल के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि यह मांग राष्ट्रपति तक पहुंचाई जाएगी।



उनके भांजे ने मुख्य अतिथि के रूप में सभा में भाग लिया और इस आंदोलन की सराहना की।

दिल्ली भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ने भी सभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


    संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों की उपस्थिति
महात्मा ज्योतिबा फुले-सावित्रीबाई फुले संघर्ष मोर्चा के प्रमुख पदाधिकारी और समाज के वरिष्ठ नेता सभा में उपस्थित रहे। इनमें शामिल हैं:


मनोज कुमार सैनी (संयोजक),बाल गोविंद माली (संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष),कन्हैया लाल पटेल, दौलत राम पंडा, उमाशंकर सैनी, दीपक सैनी, रेखाराम भाटी, प्रीति सैनी (महिला प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश)

प्रकाश मालाकार (प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड), भवानी शंकर सैनी (प्रदेश अध्यक्ष, मध्य प्रदेश), अनुराग सैनी (प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश)

डॉ. चंदन सैनी (प्रदेश कोषाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश), मनीष सैनी (युवा प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्य महासचिव, उत्तर प्रदेश), पिंकल माली (युवा प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़),

अविनाश सैनी (जिला अध्यक्ष, टीकमगढ़), शिवनारायण मालाकार (झारखंड) आदि।


सामूहिक एकता और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा
इस आंदोलन ने माली समाज और सैनी समाज के बीच एकता और जागरूकता की मिसाल पेश की। महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के योगदान को भारत रत्न के माध्यम से सम्मानित करने की इस मांग ने सभी वर्गों का ध्यान आकर्षित किया।
सभा में मौजूद सभी प्रतिनिधियों ने इस प्रयास को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और अपने समुदाय के महान नायकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।


यह आयोजन न केवल महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रयास था, बल्कि समाज के प्रति उनके अमूल्य योगदान को याद करने और सम्मानित करने की दिशा में एक बड़ा कदम ।

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