प्रदेश सचिव एपीआई बीपीएस पोया एक दिवसीय रामानुजगंज दौरे पर पहुंचे क्षेत्र के विधायक और राज सभा सांसद को लिया आड़े हाथों
बलरामपुर जिले में छत्तीसगढ़ के प्रदेश सचिव (आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडीया) बीपीएस पोया नै स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह जी के असभ्य भाषा के उपयोग पर तंज कसा और भूपेश कांग्रेस सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल पर उठाए सवाल बीपीएस पोया ने बताया कि रामानुजगंज के स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह अपनी असभ्य भाषा से मीडिया में घिरे रहते हैं। शासकीय कर्मचारी प्रशासनिक अधिकारी, जनता यहां तक की मिडिया के लोगों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं। ऐसे व्यक्ति विधायक पद के लिए अयोग्य है, या तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी उन्हें सभ्य भाषा शैली का पाठ पढ़ाये ताकि क्षेत्र की जनता, प्रशासनिक अधिकारी, मीडिया के लोग शिकवा शिकायत न करें
उन्होंने आगे छत्तीसगढ़ भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल पर सवाल उठाए सरगगुजा जिले से विभाजित बलरामपुर जिला बना है जहा
आदिवासी बहुतायत निवास करते हैं, और वन संपदा खनिज संपदा प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। अभी तक जिला का विकास नगण्य है। बीते कुछ महीने पहले राष्ट्रपति दत्तक पुत्र पण्डो जनजाति के बीस से ऊपर लोग कुपोषण के शिकार हो गए। हाथी को समस्या से ग्रामीण अपना जान गवा रहे हैं और भुपेश सरकार मस्त मग्न है। कांग्रेस सरकार अपने घोषणा पत्र में पैसा कानून, ग्राम सभा के अधिकार, वन अधिकार पट्टा 10 लाख युवाओं को 2500 रूपये बेरोजगारी भत्ता, शराबबंदी, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन
बीपीएस पोया ने कहां की धरातल पर स्थानीय विधायक वृहस्पति सिंह एवं राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के बारे में बताया कि आदिवासी नेता तो है लेकिन जमीनी स्तर पर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 7 के आदिवासी के हित के लिए कहीं उनका काम नजर नहीं आ रहा है वर्ष 2011-12 मैं ग्राम पंचायत कुरूलूडीह में बांध निर्माण कार्य हुआ है जो शासन भूमि अधिग्रहण कर चुकी है आदिवासी किसान प्रशासनिक कार्यालय में दर-दर भटक रहे हैं फिर भी उन्हें केवल आश्वासन मिलता है न की मुआवजा नही मिलता अगर दोनों ने अपना काम ठीक से किया होता तो आज तक मुआवजा नहीं मिल गया होता शासन और प्रशासन पर किसी का कोई खोप नही कियो उच्च न्यायालय के आदेश को भी अवहेलना किया जा रहा है ना तो उनके पास जमीन बचा नहीं उनको मुआवजा मिला अब वह सभी लोग लाचार व्यवस्था कृषक मारे मारे घूम फिर रहे हैं और सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों कहते हैं कि हम आदिवासी के मसीहा हैं
जहां दूसरी ओर आय को दोगुनी, बेरोजगार युवाओं को रोजगार, शासकीय कर्मचारियों का संविलियन, महिलाओं को प्रतिनिधित्व, घोषणा पत्र में कई वायदे किए लेकिन घोषणा पत्र झूठी निकली। उल्टे से सरकार के संरक्षक में रेल माफियों, भूमाफिया, चोरी डकैती, लूटपाट, बलत्कार, गैंगरेप जैसी घिनौनी घटनाओं के मामले में सरकार नंबर वन पर आ चुकी है। छत्तीसगढ़ की आम जनता परेशान है। सरकार की तानाशाही चरम सीमा पर है। अब क्षेत्र की जनता और राज्यवासियों को एपीआई जैसी नीतिवान पार्टी की आवश्यकता है। एपीआई पार्टी को विचारधारा को जिला ब्लॉक, तहसील, ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने की आवश्यकता है। तब जाकर छत्तीसगढ़ समताशील, प्रगतिशील, मानवताशील छत्तीसगढ़ बन पायेगा युवा नेता ने जिला के पदाधिकारियों को पार्टी का विस्तार करने की निर्देश दिए।