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बलरामपुर हिरासत मौत मामला: सिंहदेव का बड़ा बयान, “पिटाई से हुई मौत, फांसी की कहानी गढ़ी गई”

बलरामपुर: पुलिस हिरासत में मौत के मामले में सिंहदेव का कड़ा रुख, फांसी की कहानी को बताया झूठा

                   घटना का विवरण
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में पुलिस हिरासत में एक नागरिक, गुरुचंद मंडल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। मंडल की मौत को लेकर परिवार और स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने सोमवार को मृतक के स्वजनों से मुलाकात कर घटना पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने मृतक के परिवार से पूरी घटना की जानकारी ली और उच्च-स्तरीय जांच के साथ-साथ दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।


  सिंहदेव का बयान: “पिटाई से हुई मौत, फांसी की कहानी गढ़ी गई”
सिंहदेव का कहना है कि यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि बर्बरता की पराकाष्ठा है। उन्होंने दावा किया कि मंडल की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है, जिसे बाद में फांसी के रूप में दिखाने की कोशिश की गई। सिंहदेव ने कहा, “गुरुचंद मंडल की मौत पुलिस पिटाई का नतीजा है, और उसे शौचालय में फांसी पर लटकाने की झूठी कहानी बनाई गई। पोस्टमॉर्टम के दौरान मिले चोटों के निशान और मृतक का टूटा हुआ हाथ स्पष्ट संकेत देते हैं कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की।”

            मृतक के परिवार की आपबीती
गुरुचंद मंडल के पिता शांति मंडल ने सिंहदेव को बताया कि पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार को लगातार तीन दिन तक थाने में पूछताछ के लिए रोके रखा। इस दौरान न केवल उन्हें प्रताड़ित किया गया, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ा गया। मृतक के पिता ने बताया कि पुलिस ने थाने में ही स्वजनों को कंप्यूटर रूम में बंद कर दिया और बाथरूम के बाहर दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। इसी दौरान परिवार को पुलिसकर्मियों की आपसी बातचीत से पता चला कि गुरुचंद मंडल की मौत हो चुकी है। पुलिस ने उन्हें शव को फांसी पर लटकाने की घटना दिखाने का प्रयास किया, जबकि वास्तविकता कुछ और थी।

     सिंहदेव की मांगें और पुलिस पर गंभीर आरोप
सिंहदेव ने पुलिस पर सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं में जांच के नाम पर कुछ छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि इस घटना की जांच उच्च न्यायालय के जज से कराई जाए, ताकि सच सामने आ सके। सिंहदेव ने कहा, “पुलिस का कर्तव्य नागरिकों की रक्षा करना है, न कि उन पर अत्याचार करना। यह घटना मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसके दोषी पुलिसकर्मी समाज की सुरक्षा के योग्य नहीं हैं।” इसके साथ ही, उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

       आर्थिक मुआवजे और नौकरी की मांग
सिंहदेव ने कहा कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और नौकरी की व्यवस्था की जानी चाहिए क्योंकि गुरुचंद मंडल अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनकी असमय मृत्यु से उनके परिवार पर आर्थिक संकट गहराने का खतरा मंडराने लगा है। सिंहदेव ने इस दिशा में सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।

पुलिस पर सवालिया निशान और कानून व्यवस्था पर चिंता
सिंहदेव ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो गंभीर चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में अत्याचार और बर्बरता की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, खासकर आदिवासी मुख्यमंत्री के शासनकाल में, जिससे यह संकेत मिलता है कि कानून व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में नहीं है। सिंहदेव ने कहा कि यह समय है जब पुलिस को आत्ममंथन करना चाहिए और जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

   कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति और सामूहिक निंदा
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी सिंहदेव का समर्थन किया। इस मुलाकात में औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, महापौर डॉ. अजय तिर्की, पूर्व विधायक डॉ. प्रीतम राम, सूरजपुर जिला पंचायत अध्यक्ष राजकुमारी मरावी सहित कांग्रेस के कई नेता उपस्थित रहे। सभी नेताओं ने इस घटना को बर्बरता करार देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग
मृतक के शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान, टूटा हुआ हाथ, और पुलिस की जांच में मिली अन्य विसंगतियों ने इस घटना को और भी संदेहास्पद बना दिया है। सिंहदेव ने इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए तो जनता के आक्रोश को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।

                     निष्कर्ष
टीएस सिंहदेव का यह बयान और उनकी मांगें सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। यह घटना मानवाधिकारों के उल्लंघन का प्रतीक है, और इसे दबाने की किसी भी कोशिश को सिंहदेव और उनके समर्थकों ने खुलकर विरोध किया है। उन्होंने पुलिस व्यवस्था में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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