“वन विभाग में लापरवाही के कारण हाथियों की मौत”अधिकारियों पर सवाल”, “ग्रामीणों की शिकायतें”
रायगढ़ में हाथियों की मौत के मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तमनार क्षेत्र के बगचबा बीट में तीन हाथियों की दर्दनाक मौत के बाद वन विभाग ने सबसे निचले स्तर के कर्मचारी, बीट गार्ड सन्यासी सिदार को सस्पेंड कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि बिजली कंपनी की लापरवाही से यह दुर्घटना हुई, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और कई विशेषज्ञों का मानना है कि वन विभाग की ओर से क्षेत्र में पर्याप्त निगरानी और समय पर निरीक्षण की कमी भी इस त्रासदी के लिए समान रूप से जिम्मेदार है।
वन विभाग के उच्चाधिकारियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर जंगल में हाथियों की नियमित आवाजाही के बावजूद, हाई टेंशन तारों की स्थिति पर क्यों ध्यान नहीं दिया गया। यदि वन अधिकारी नियमित रूप से जंगल का निरीक्षण करते, तो संभवतः हाई टेंशन तारों के झूलने और उनके खतरनाक स्थिति की सूचना उच्च अधिकारियों को समय रहते मिलती, और दुर्घटना को टाला जा सकता था।
अधिकारियों पर कार्रवाई में पक्षपात के आरोप
वन विभाग ने अपने एकमात्र छोटे से बीट गार्ड को निलंबित करके वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया है, जबकि इस मामले में डिप्टी रेंजर, रेंजर, डीएफओ, और सीसीएफ पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्चाधिकारियों की भूमिका की समीक्षा होना जरूरी है क्योंकि उनके निरीक्षण में कमी भी घटना का कारण बनी है।
बिजली विभाग पर कार्रवाई का दबाव
इस मामले में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोष बिजली विभाग पर डालने का प्रयास किया है। बिजली विभाग ने भी अपने क्षेत्र के सब-इंजीनियर को हटाने का कदम उठाया है, और अब वन विभाग उस पर वन अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। जबकि यह मामला केवल बिजली विभाग की लापरवाही का नहीं, बल्कि वन विभाग की असंवेदनशीलता और निष्क्रियता का भी है।
ग्रामीणों की शिकायतें
अमलीडीह और चुह्कीमार के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी और बीट गार्ड कभी भी क्षेत्र का निरीक्षण करने नहीं आते, जिससे वे हाई टेंशन तार की स्थिति से अनजान रहे। इस लापरवाही के कारण ही हाथियों की मौत हुई।
यह मामला न केवल वन्यजीव संरक्षण की विफलता को उजागर करता है, बल्कि इस ओर भी इशारा करता है कि वन विभाग में किस तरह के पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। ग्रामीणों और विभिन्न पर्यावरणीय संगठनों की नजरें इस पर हैं कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी या नहीं।
जनवरी 2022 में, सूरजपुर जिले के जंगलों में एक मादा हाथी की भी इसी तरह करंट लगने से मौत हो गई थी, जब वह गलती से नीचे लटके तार के संपर्क में आ गई थी। शासकीय आंकड़े के अनुसार 2001 से अब तक हाथियों की मौत का आंकड़ा 224 हो गया है, जिनमें से 78 की मौत बिजली के झटके से हुई है।
वन्यजीव कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने रायगढ़ में तीन हाथियों की मौत के संदर्भ में बताया कि 2001 से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ में 224 हाथियों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 78 मौतें बिजली के झटके से हुई हैं। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने बताया कि दिशा-निर्देशों में तारों की ऊंचाई को कम से कम 20 फीट तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि हाथी पिछली टांगों पर खड़े होकर सूंड उठाते हुए 20 फीट तक की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।
सिंघवी ने आगे जानकारी दी कि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से 26 जून 2024 को विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के बीच एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई, जिसके बाद 1 अगस्त 2024 को विद्युत कंपनी ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को हाथियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे के अनुसार, वन विभाग की टीम के साथ मिलकर विद्युत लाइनों की ऊंचाई बनाए रखने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा और विद्युत आपूर्ति से संबंधित उपाय) विनियम, 2023 के अनुसार ग्राउंड क्लीयरेंस का कार्य किया जा रहा है।