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फर्जी दस्तावेजों से 8.87 करोड़ का गबन: फरार आरोपी अंबिकापुर से गिरफ्तार

फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों की हेराफेरी: फरार आरोपी गिरफ्तार

बलरामपुर:

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में जल संसाधन विभाग में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 8 करोड़ 87 लाख 54 हजार रुपये के गबन के मामले में लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी योगेश्वर स्वरूप भटनागर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले इस मामले में तत्कालीन एसडीओ संजय ग्रायकर समेत तीन अन्य सहयोगी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। आरोपी योगेश्वर स्वरूप भटनागर की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।

कैसे हुआ करोड़ों का घोटाला?

बलरामपुर जिले के रामानुजगंज जल संसाधन विभाग में संचालित संभाग क्रमांक 02 की कार्यपालन अभियंता एन.सी. सिंह ने रामानुजगंज थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, उनकी अनुपस्थिति में विभाग के तत्कालीन एसडीओ एवं प्रभारी कार्यपालन अभियंता संजय ग्रायकर और उनके तीन अन्य सहयोगियों ने भू-अर्जन की राशि को निजी खाते में स्थानांतरित कर दिया, जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ था।

शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि इस घोटाले को अंजाम देने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे, जिनकी मदद से करोड़ों रुपये गबन किए गए।

गिरफ्तारियां और जांच की प्रगति

जांच के दौरान पुलिस ने पहले ही तत्कालीन एसडीओ संजय ग्रायकर, डाटा एंट्री ऑपरेटर समेत तीन अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बावजूद, इस पूरे षड्यंत्र में शामिल योगेश्वर स्वरूप भटनागर फरार था, जो फर्जी दस्तावेज तैयार करने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।


फरार आरोपी की गिरफ्तारी कैसे हुई?

पुलिस को हाल ही में सूचना मिली कि आरोपी योगेश्वर स्वरूप भटनागर अंबिकापुर में छिपा हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए अंबिकापुर में दबिश दी और फरार चल रहे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

पुलिस का बयान

बलरामपुर एसडीओपी याकूब मेनन ने कहा:
“इस मामले में पुलिस ने पहले ही कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन मुख्य आरोपियों में से एक योगेश्वर स्वरूप भटनागर फरार चल रहा था। पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि वह अंबिकापुर में है, जिसके आधार पर कार्रवाई करते हुए हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है। हमारी टीम आगे भी इस मामले में जांच जारी रखेगी, ताकि अन्य संभावित आरोपियों तक भी पहुंचा जा सके।”


इस पूरी घटना से स्पष्ट होता है कि सरकारी धन के गबन के लिए किस तरह फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। प्रशासन और पुलिस की सक्रियता के चलते इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ और मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस आगे भी इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि यदि कोई अन्य व्यक्ति इसमें शामिल हो, तो उसे भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाया जा सके।

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