प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जी भुगतान,22 पंचायतों के हितग्राही बने ठगी के शिकार,जांच के घेरे में भाला पंचायत

नरेगा कार्य और आवास भुगतान में भारी गड़बड़ी:भाला पंचायत पर नोटिस, 21 पंचायतों के फर्जी भुगतान पर चुप्पी क्यों?
रामानुजगंज।
जनपद पंचायत रामचंद्रपुर में नरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के भुगतान को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। ग्राम पंचायत भाला की निर्माण एजेंसी पर बिना कार्य कराए फर्जी भुगतान करने का आरोप लगाते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में दो दिवस के भीतर जवाब मांगा गया है।


क्या है मामला?
शिकायत के आधार पर जनपद पंचायत रामचंद्रपुर द्वारा जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि भाला पंचायत की तत्कालीन निर्माण एजेंसी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों की हाजिरी फर्जी तरीके से भरकर मजदूरों के नाम से मांग पत्र प्रस्तुत किए। इन पर सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एवं मेट के हस्ताक्षर कर भुगतान कराया गया और राशि आहरित की गई। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ हितग्राहियों को अधूरा पैसा वापस कराया गया।
इसी नोटिस में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है—भाला पंचायत के साथ-साथ 21 अलग-अलग पंचयतों के हितग्राहियों का पैसा भी आहरण कर लिया गया।
किन पंचायतों के नाम शामिल?

नोटिस में जिन 21 पंचायतों का जिक्र है उनमें अन्नपारा, अनिरुद्धपुर, बाहर चुरा, महावीरगंज, कामेश्वर नगर, त्रिशूली, कुरलूडीह, कुण्डपण, पुरुषोत्तमपुर, विशुनपुर, पिपरपान, उचरुआ, कुशफर, तालकेश्वरपुर, निलकंठपुर, देवीगंज, पिपरौल, अनपारा और नेहरूनगर जैसी पंचायतें शामिल हैं।

इन पंचायतों के हितग्राहियों के प्रधानमंत्री आवास योजना के मास्टर रोल और मांग पत्र पर भी सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक के संयुक्त हस्ताक्षर कर भुगतान कराने की बात कही गई है।
बड़ा सवाल – दोषी कौन?
नोटिस में भाला पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक और मेट का नाम तो दर्ज किया गया है, लेकिन सरपंच का जिक्र नहीं किया गया। दूसरी तरफ, जिन 21 पंचायतों का नाम लिया गया, उनके संबंध में यह साफ नहीं किया गया कि उनके मास्टर रोल और मांग पत्र पर किस पंचायत के सरपंच और सचिव ने हस्ताक्षर किए।
अगर इन पंचायतों के अपने-अपने सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों ने फर्जी भुगतान कराया तो नोटिस सिर्फ भाला पंचायत को ही क्यों?
अगर वास्तव में इन 21 पंचायतों के भुगतान में भी भाला पंचायत की निर्माण एजेंसी और कर्मचारी शामिल थे, तो यह संभव कैसे हुआ कि दूसरे पंचायतों के नाम के भुगतान भी भाला पंचायत से हो गए?
क्या यह पूरे जनपद स्तर पर मिलीभगत का मामला है?
मनरेगा भुगतान पर सबसे बड़ा सवाल
मजदूरी कार्ड और मास्टर रोल पर सरपंच,सचिव, रोजगार सहायक और मेट के हस्ताक्षर अनिवार्य।
आहरण पर्ची पर भी इन्हीं के हस्ताक्षर के बिना भुगतान संभव ही नहीं।
फिर जब फर्जी भुगतान हुआ तो नोटिस सिर्फ निर्माण एजेंसी या एक पंचायत को ही क्यों?
बाकी पंचायतों के सचिव–सरपंच–रोजगार सहायक और मेट पर कार्रवाई कब?
क्या जांच सिर्फ खानापूर्ति है या सचमुच दोषियों तक पहुँचेगी?
जनपद पंचायत रामचंद्रपुर छेत्र में जनचर्चा का विषय
गांव-गांव में इस मुद्दे पर चर्चा गर्म है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह घोटाला केवल भाला पंचायत तक सीमित है या फिर इसमें जनपद के कर्मचारी और अन्य पंचायतों के अधिकारी भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना में 22 पंचायतों के हितग्राहियों के साथ इस तरह की गड़बड़ी गंभीर मामला है। अब देखना होगा कि जांच महज औपचारिकता बनकर रह जाती है या वास्तव में व्यापक जांच कर सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होती है।