कोरियागरियाबंदछत्तीसगढ़जसपुरजांजगीर चांपाझारखण्डतातापानीदिल्लीदुर्गदेशप्रतापपुरबलरामपुरबलौदा बाजारबस्तरबिलासपुरभरतपुर सोनहतभाजपाभारतमनेन्द्रगढ़महासमुंदमहेंद्रगढ़मुंबईराजपुरराज्यसभारामचंद्रपुररामानुजगंजरायगढ़रायगढ़रायपुररायपुरलाचारी

उच्च न्यायालय और शासन दोनों के आदेश हवा में,शिक्षकों को जिले  में विभाग ने बनाया मण्डल संयोजक”

वरिष्ठ छात्रावास अधीक्षकों को ही मण्डल संयोजक बनाए जाने की मांग,छात्रावास अधीक्षक संघ ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, उच्च न्यायालय और शासन के आदेशों का हवाला

बलरामपुर।छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय छात्रावास अधीक्षक संघ ने सोमवार को कलेक्टर बलरामपुर को ज्ञापन सौंपकर यह मांग रखी कि मण्डल संयोजक का प्रभार केवल वरिष्ठ छात्रावास अधीक्षकों को ही दिया जाए। संघ का कहना है कि शासन और उच्च न्यायालय दोनों के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है।

संघ के अध्यक्ष ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि आदिम जाति विकास मंत्रालय और उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश में साफ-साफ कहा गया है कि शैक्षणिक संवर्ग के कर्मचारियों को प्रभारी मण्डल संयोजक का दायित्व नहीं दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि शिक्षकों को यह दायित्व सौंपे जाने से विद्यालयों की पढ़ाई प्रभावित होती है।



                        शिक्षा व्यवस्था पर असर

अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षा विभाग में हाल ही में बड़े पैमाने पर युक्तियुक्तकरण किया गया है। इसके चलते कई विद्यालयों की स्थिति एकल-शिक्षक स्कूल जैसी हो गई है। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्राथमिक शाला डम्हाटोली, शंकरगढ़, रामचन्द्रपुर चाकी और बलरामपुर के कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां यदि शिक्षकों को मण्डल संयोजक बना दिया जाए तो पूरी शिक्षा व्यवस्था ठप हो सकती है।संघ ने कहा कि यह छात्रों के भविष्य के लिए नुकसानदेह है और शासन की युक्तियुक्तकरण की नीति के विपरीत है।

📌 फैक्ट बॉक्स / हाइलाइट

शिक्षक जब निर्वाचन या अन्य शासन कार्यों में लगाए जाते हैं तो उन्हें टी.ए./डी.ए. मिलता है।

लेकिन मण्डल संयोजक के मामले में उलटी व्यवस्था है – यहाँ वेतन शिक्षा विभाग देता है, न कि आदिवासी विभाग।

सवाल उठता है कि आखिर मण्डल संयोजक पद में ऐसा क्या है कि शिक्षक अपने मूल शिक्षण कार्य को छोड़कर इस जिम्मेदारी को लेना चाहते हैं?

मण्डल संयोजक को तो दिनभर आश्रम एवं छात्रावासों का दौरा ही करना होता है।



                   शासन का आदेश भी स्पष्ट

संघ ने यह भी कहा कि 7 जुलाई 2025 को महानदी भवन, नवा रायपुर से जारी आदेश में प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि अन्य विभागों के कर्मचारियों को मण्डल संयोजक का प्रभार देना प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इस तरह का निर्णय विभाग को आपत्तियों का सामना करने के लिए मजबूर करता है। आदेश में कहा गया है कि नियमानुसार वरिष्ठ छात्रावास अधीक्षकों को ही इस पद का दायित्व दिया जाना चाहिए।



                  जिले में पर्याप्त अधीक्षक उपलब्ध

ज्ञापन में यह भी बताया गया कि जिले में ही वरिष्ठ अधीक्षक पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं। वर्तमान में वाड्रफनगर में महेन्द्र कुमार भानु, रामचन्द्रपुर में विकास कुमार गुप्ता, बलरामपुर में मुकेश कुमार सिंह, राजपुर में जय मानिकपुरी, शंकरगढ़ में राजेश भारद्वाज और कुसमी में उदेश सिंह विभिन्न छात्रावासों में पदस्थ हैं। इन्हीं अधीक्षकों को मण्डल संयोजक का दायित्व सौंपा जा सकता है।

                     उच्च न्यायालय का हवाला

संघ ने यह भी उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 18 अक्टूबर 2023 को आदेश (क्रमांक WPS 8434/2023) जारी करते हुए यही निर्देश दिए थे कि मण्डल संयोजक का दायित्व छात्रावास अधीक्षकों को ही सौंपा जाए।
संघ का कहना है कि शासन और न्यायालय दोनों के आदेशों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने तत्काल इस पर अमल करते हुए अधीक्षकों को ही मण्डल संयोजक बनाए जाने की मांग की है।

Related Articles

Back to top button