छत्तीसगढ़बलरामपुर

समाज से बहिष्कार का मामला पहुंचा राज्य महिला आयोग । बलरामपुर पहुंची महिला आयोग अध्यक्ष किरणमई नायक।

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर क्षेत्र के इंजानी में सामाजिक बहिष्कार का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है यहां कुर्मी समाज में एक महिला और उसके परिवार को इसलिए समाज से बाहर कर दिया क्योंकि उसकी डॉक्टर बेटी ने एक डॉक्टर लड़के से शादी करने का निर्णय लिया था, बलरामपुर के सर्किट हाउस में आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने मामले की सुनवाई की जहां काफी गहमागहमी देखने को मिला।


पीड़ित महिला का नाम माला पटेल है और उसके बेटी निधि पटेल गायनोलॉजिस्ट है बेटी के लिए एक बेहतर रिश्ता ढूंढ ढूंढ कर जब ये लोग परेशान हो गए तो दूसरे प्रदेश में इन्हें राकेश प्रधान जो पेशे से डॉक्टर हैं उनका रिश्ता मिला। दोनों की शादी 2 मई 2023 को अंबिकापुर में संपन्न हुई लेकिन समाज के लोगों ने यह कहकर इस शादी का विरोध किया की लड़का दूसरे कास्ट का है लेकिन शादी से पहले लड़के और उसके परिवार ने सारे दस्तावेज प्रस्तुत किए थे जिसमें वह कुर्मी समाज का ही होना बताया था। समाज में दबंगों की रंगदारी इस कदर चली की डॉक्टर बेटी की शादी में लगभग 18 लोग समाज के तरफ से शामिल हुए थे दबंगों ने इन सभी से सजा के तौर पर ₹2050 दंड स्वरूप वसूली किए। इस घटनाक्रम से ना सिर्फ लड़की बल्कि उसका परिवार मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित हुआ और उन्होंने समाज के इस कृत्य के सुनवाई के लिए राज्य महिला आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया जिसकी सुनवाई आज हुई।

इस मामले की सुनवाई के दौरान काफी गहमागहमी का माहौल रहा और जिला मुख्यालय के सर्किट हाउस में लगभग 2 घंटे तक दोनों पक्षों की सुनवाई हुई इस दौरान सबसे अजीब बात यह रही कि समाज के लोगों ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में यह मैसेज चलाया था कि आज समाज के लोगों को बुलाया गया है और लगभग एक हजार की संख्या में लोग यहां उपस्थित हों, सामाजिक बहिष्कार के मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमई नायक काफी सख्त दिखी और उन्होंने सुनवाई के दौरान समाज के ठेकेदारों को कड़ी फटकार भी लगाई इस दौरान समाज के लोगों ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और आगामी दिनों में गंगाजल लेकर इस महिला और उसके परिवार को समाज में प्रवेश कराएंगे।  वहीं इस पूरे मामले में कुर्मी समाज के जिलाध्यक्ष का अलग ही बयान है उन्होंने कहा कि समाज के ऊपर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद है वही वे लोगों से पैसा लेने की बात जरूर स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इस मामले में भी उनकी अपनी दलील है, उन्होंने कहा कि समाज के विकास के लिए उन्होंने यह पैसे लिए थे लेकिन लोग अगर उसे वापस मांगेंगे तो उन्हें वापस कर दिया जाएगा।

सामाजिक बहिष्कार के इस प्रकरण में एक नहीं बल्कि 18 परिवारों के साथ बहिष्कार का मामला सामने आया था 17 लोगों के साथ तो दंड का पैसा लेकर उन्हें बरी कर दिया गया लेकिन एक परिवार को समाज के ठेकेदारों ने गंभीर सजा दे दी बहरहाल राज्य महिला आयोग ने इसकी सुनवाई की है और अब उम्मीद है की पीड़ित परिवार के चेहरे पर हंसी जरूर लौटेगी।

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