न्यूज़ डेस्क रायपुर- 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद को योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। हाल ही में हुई पद्म अवार्ड सेरेमनी में उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है इस अवॉर्ड सेरेमनी में जब स्वामी शिवानंद सफेद धोती और कुर्ता पहने नंगे पांव चल कर आए तो उनकी सादगी देखकर पूरा राष्ट्रपति भवन का दरबारी हाल तालियों से गूंज उठा था।
पीएम मोदी के सामने नतमस्तक हुए स्वामी शिवानंद- पद्मश्री सम्मान के लिए जब स्वामी शिवानंद दरबारी हाल में पहुंचे तो उन्होंने पीएम मोदी के सामने नतमस्तक हो गए उन्हें देखकर पीएम मोदी ने भी उन्हें झुककर प्रणाम किया था।
जीवन परिचय- स्वामी सिवानंद वाराणसी एक सन्यासी है जिनका जन्म अविभाजित भारत के सिलहट जिले में 8 अगस्त 1896 को हुआ था। सिलहट अब बांग्लादेश में है। 6 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खोने वाले स्वामी शिवानंद का बचपन गरीबी में गुजरा, बचपन में उन्हें मुख्य रूप से चावल का उबला हुआ पानी मिलता था।
शिक्षा- स्वामी शिवानंद ने बंगाल के आश्रम में लिए आध्यात्मिक शिक्षा,, माता पिता के निधन के बाद स्वामी सिवानंद को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप गुरु ओंकारानन्द गोस्वामी के आश्रम में ले जाया गया, वहां गुरु ओंकारानंद गोस्वामी नहीं उनका पालन पोषण किया,,, उन्हें बिना स्कूली शिक्षा के ही योग सहित सभी व्यवहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दी गई।
बिना तेल का खाना हर दिन योग- स्वामी शिवानंद अपने लंबी उम्र का श्रेय योग और बिना तेल के खाना को दे रहे हैं, स्वामी शिवानंद बिना तेल और बगैर मसाले का खाना खाते हैं। उनका मानना है कि योग स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग है, यह इंद्रियों मन और इच्छा को नियंत्रित करता है,मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्वामी शिवानंद सुबह 3:00 बजे उठते हैं और एक कठोर दिनचर्या का पालन करते हैं।
मानव सेवा- स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से कुष्ठ रोग से प्रभावित 400 से 600 भिखारियों की सेवा कर रहे हैं, वह उन्हें खाद्य पदार्थ फल कपड़े मच्छरदानी भोजन पकाने का बर्तन आदि उपलब्ध कराते हैं। सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि “स्वामी शिवानंद उन्हें भगवान की तरह मानते हैं और सर्वोत्तम उपलब्ध वस्तुओं के साथ उनकी सेवा करते हैं।“