कोरिया। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड से मान्यता प्राप्त अस्पतालों व क्लीनिक संचालकों द्वारा मेडिकल निपटान के रिकॉर्ड की जानकारी भी नहीं दी जा रही है। वही SECL (एसईसीएल) द्वारा संचालित केंद्रीय चिकित्सालय आमाखेरवा मनेंद्रगढ़ के प्रबंधन द्वारा भी इस मामले में गंभीर चूक की जा रही है। चिकित्सालय परिसर में ही एक ओर खुले में मेडिकल वेस्ट को फेंका जा रहा है। महज एक सूचना बोर्ड व टूटी फूटी तार की घेराबंदी कर अस्पताल प्रबंधन आंख बंद कर खतरे से अनजान बनने की नाकाम कोशिश कर रहा है। जबकि नियमता: मेडिकल कचरा को चार अलग -अलग रंग के पालीथीन में रख कर उचित निष्पादन करना होता है।
नगर पालिका परिषद द्वारा अपनी कचरा गाड़ी द्वारा सीधे अस्पताल से मेडिकल वेस्ट उठा कर चैनपुर आई. टी. आई. के पीछे खुले में फेंका जा रहा है। बायो मेडिकल वेस्ट को जहाँ फेंका जा रहा उस स्थान में जानवरों की आवाजाही के कारण गंभीर खतरा होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
मेडिकल वेस्ट को जलाने व खुले में फेकने से कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती है। एवं मेडिकल वेस्ट जैसे केमिकल से भीगी रूई , एक्सपायरी दवाई , सीरिंज आदि से वातावरण के लिए खतरा हो सकता है। मेडिकल वेस्ट व शहर के अन्य कचरा के कारण आई टी आई कालेज व जिला रोजगार कार्यालय मच्छर व मक्खी के प्रकोप से परेशान नजर आ रहे है जहा मवेशियों का भी डेरा लगा रहता है