बलरामपुर

स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ करेगी 3 सितंबर को होने वाले फेडरेशन आंदोलन का समर्थन, आंदोलन से प्रभावित होगा टीकाकरण एवं शिशु सरंक्षण कार्यक्रम….

बलरामपुर ब्यूरो-स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ छ. ग. जिला- बलरामपुर-रामानुजगंज के द्वारा फेडरेशन के समर्थन में ३ सितंबर को सामूहिक अवकाश लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल होंगे, जिसके कारण उक्त दिवस में नियमित टीकाकरण , और कोविड टीकाकरण के साथ-साथ वर्तमान माह में संचालित शिशु संरक्षण माह भी प्रभावित होगा , जिसमे बच्चो को टीकाकरण , 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चो को विटामिन “ए” की खुराक,6 माह से 5 साल तक के बच्चों को आयरन सिरप का वितरण किया जाना है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष टार्जन गुप्ता एवं बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जिलाध्यक्ष विवेकानंद गुप्ता ने बताया कि सरकार कर्मचारियों के प्रति उदासीन हो रवैया अपना रही है, वो भूल रही है की सरकार की सारी योजनाओं का धरातल पर सफल क्रियावयन का माध्यम कर्मचारी ही होता है, आज देश, प्रदेश में सरकार जिन योजनाओं को लेकर वाहवाही बटोर रही है उसका कारण छत्तीसगढ़ के कर्मचारी है, जिनके बदौलत सरकार की सभी योजना जनता तक पहुंच रही है।
विवेकानंद गुप्ता ने बताया कि महंगाई भत्ता कर्मचारियों का अधिकार है, जो देय तिथि से मिलना चाहिए। केंद्र सरकार 28% महंगाई भत्ता अपने कर्मचारियों को दे रही है वही राज्य सरकार के द्वारा अभी तक 12% ही महंगाई भत्ता दिया जा रहा है ,16 % महगाई भत्ता से छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को सरकार के द्वारा वंचित रखा गया है, जिस कारण मजबूरन कर्मचारियों को आंदोलन का रास्ता देखना पड़ रहा है। सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों को जो सपने दिखाए गए थे वो चकनाचूर होते नजर आ रहे है, डी ए, क्रमोन्नति, पदोन्नति , वेतनविसंगती जैसी हर छोटी मांग के लिए अगर कर्मचारियों को सड़क पर उतरना पड़े तो सरकार की उदासीनता साफ उजागर होती है। कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र के वादे सत्ता की चकाचौंध में धुंधली हो गई है , जो सरकार को नजर नहीं आ रही है। जिला महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष अनुराधा जायसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के घोषणा के बाद भी कोरोना काल में स्वास्थ्य संयोजकों को न ही भत्ता मिला और ना ही वेतनमान में बढ़ोत्तरी, के वादे पूरे हुए। यहां तक कि पार्टी के घोषणा पत्र में स्वास्थ्य संयोजकों की वेतनविसंगती दूर करने के वादे भी दूर हो गए है, ऐसे में कोरोना योद्धाओं के लिए आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।

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