पक्के दुकान का सपना देखने वाले एक बार फिर सड़क पर ठेला लगाने मजबूर,दस महीने तक बेरोजगार घूमने के अब आस टूटा…मुख्यमंत्री के महोत्वकांक्षी योजना पर लगा बट्टा, नियम विरुद्ध निर्माण कराने का आरोप,उच्च न्यायालय में मामला लंबित…
एमसीबी। जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वकांक्षी पौनी पसारी योजना के तहत निर्मित दुकान का लाभ दुकानदारों को नहीं मिल पा रहा है. उल्टा यहां रोजगार कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले गरीब तपके के लोग पिछले लगभग दस महीने से बेरोजगार हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार सड़क किनारे ठेला लगाकर रोजगार करने वाले छोटे व्यवसायियों को पक्का दुकान निर्माण करा कर उनका स्तर उठाने के मकशद से पौनी पसारी योजना के तहत शहर के भगत सिंह चौक स्थित व जोड़ा तालाब के पास दुकान का निर्माण कराया गया था। जिसके लिए वहां रोजगार कर रहे छोटे व्यापारियों ठेला हटवाया गया था. वहीं पक्का दुकान के आस में ये छोटे व्यापारी अपना रोजगार बंद कर दिए. दुकान का निर्माण भी हो गया। मगर मामला कोर्ट में जाने के कारण इस योजना का लाभ इन व्यापारियों को नहीं मिल पा रहा है।
दरअसल याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिस स्थान पर दुकान का निर्माण कराया गया है वह भूमि सड़क की भूमि है और सड़क की भूमि पर पक्का निर्माण नहीं कराया जा सकता है। साथ ही जिस योजना के तहत दुकान का निर्माण कराया गया है वह नियम विरुद्ध है।
इस संबंध जब हमने याचिकाकर्ता रमाशंकर गुप्ता से जानकारी चाही तो उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुवे बताया कि जो मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका द्वारा जो पौनी पसारी योजना के तहत दुकान निर्माण कराया गया है वह पूर्णतः नियम विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश प्राचीन और क्षेत्र के परंपरागत व्यवसायों जैसे:- लोहे के बर्तन,मिट्टी के बर्तन,कपड़ा धुलाई,जूता चप्पल निर्माण करना,सिलाई कढ़ाई,मूर्ति बनाना,फूल व्यसाय,मनिहारी जैसे अन्य व्यवसाय करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को व्यवसाय मुहैया कराने के मकशद से चबूतरा निर्माण कर आवंटन करने का निर्देश जारी किया गया। जिसका स्पष्ट रूप से दिशा निर्देश है। न कि पक्का दुकान का निर्माण कर उसमें गेट लगाने का। वहीं रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि इस मामले में जनप्रतिनिधियों सहित तेरह अधिकारियों को नामजद पार्टी बनाया गया है। इस मामले में उच्च न्यायलय को अपना फैसला सुनाना शेष है।
चाहे जो निर्णय हो मगर जो कमजोर तपके के लोग किसी तरह अपना और परिवार को जीवन यापन कर रहे थे उनके ऊपर अब रोजी रोटी की समस्या आ गयी है। इनमे से कुछ लोगों ने थक हार कर अब नवनिर्मित दुकान के आगे ही अपना ठेला लगाना सुरु कर दिया है। उनका कहना है कि हम लोग दस महीने से बेरोजगार हैं और अब आस टूट चुकी है. देखते हैं