तातापानी में शिव चर्चा महोत्सव का हुआ भव्य आयोजन.. “हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु”
बलरामपुर जिले के तातापानी में रविवार को शिवचर्चा महोत्सव का का आयोजन हुआ हजारों की संख्या में शिव भक्त महिलाएं युवा बुजुर्ग बच्चे सहित शिव शिष्य शामिल हुए. दीदी बरखा आनन्द ने बताया कि यह अवधारणा बिल्कुल आध्यात्मिक है जो भगवान शिव के गुरू स्वरूप से एक-एक व्यक्ति के जुड़ाव से संबंधित है. बरखा दीदी ने लोगों को शिव चर्चा से जुड़ने और शिव गुरू की महिमा का प्रसार करने की बात कही इस दौरान शिव शिष्य परिवार के पंचम कुशवाहा मनोज यादव सहित हजारों की संख्या में शिव शिष्य परिवार के लोग शामिल हुए.
आप को बता दे की जिले के प्रसिद्ध गर्म जल स्त्रोत यानी कि भगवान शिव के पावन धाम तातापानी में रविवार को भव्य शिवचर्चा महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों से हजारों की तादाद में शिव भक्त पहुंचे. शिवचर्चा के दौरान महिलाएं, युवा, बच्चे बुजुर्ग शामिल हुए. सभी शिव भक्ती में डूबे नजर आए.
बिहार से हुई शुरुआत
हरिंद्रानंद साहब ने साल 1974 में शिव को अपने गुरू के रूप में स्वीकार किया, जिसके बाद सन 1980 के दशक में बिहार के मधेपुरा में हरिंद्रानंद साहब ने इसकी शुरुआत की. महज बारह साल की उम्र में ही महाराज की आध्यात्मिक रूचि उन्हें श्मशान लेकर गई. वही हरिदानंद साहब जॉइंट सेक्रेटरी रहते हुए शिव चर्चा की शुभारंभ किया था , छत्तीसगढ़ में बलरामपुर के सनावल में साल 2007 में शिव चर्चा महोत्सव का आयोजन हुआ था. स्वयं हरिंद्रानंद महाराज स्वयं यहां शिव चर्चा महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए थे. तब से लगातार क्षेत्र में शिव चर्चा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित हो रहा है.
शिव से जुड़कर बढ़ता है युवाओं का आत्मबल
युवा वर्ग को लेकर शिव शिष्या दीदी बरखा आनंद ने कहा कि, आज की युवा पीढ़ी में आत्म बल कम हुआ है सकारात्मक सोच बदली है जिसके कारण युवा गलत कदम उठा लेते हैं, दीदी ने आगे कहा कि इन सब चीजों से बाहर निकालने के लिए”वर्तमान में युवा पीढ़ी को संस्कारवान और सकारात्मक चीजों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है. इससे समाज को बेहतर बनाया जा सकता है. भगवान शिव से जुड़कर युवाओं का आत्मबल बढ़ सकता है और वह अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं. बलरामपुर जिले में आना-जाना तो बार-बार होगा. जब तक महादेव की बात चलती रहेगी, दुनिया में शिव के शिष्य शिव की बात कहते रहेंगे. महादेव का डंका बजे इसकी कामना है. भगवान शिव के साथ जुड़कर युवाओं का आत्मबल बढ़ सकता है.”
सीवान जिले के रहने वाले थे स्वामी हरिंद्रानंद
शिव शिष्य परिवार के जनक स्वामी हरिंद्रानंद जी मूल रूप से सीवान जिले के रहने वाले थे. उनका जन्म 1948 में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को हुआ था. वे तत्कालिन छपरा जिले (अब सीवान) से पांच किलोमीटर दूर स्थित अमलोरी गांव के रहने वाले थे. उन्होंने शिव गुरु का संदेश करोड़ों लोगों तक पहुंचाया. बताते चलें कि उनके बड़े बेटे अर्चित आनंद झारखंड में तलवारबाजी संघ के अध्यक्ष हैं.
देश ही नहीं विदेशों में भी पहुंचा शिव चर्चा
बरखा दीदी ने चर्चा में बताया कि शिव चर्चा हमारे देश से लगे हुए नेपाल अन्य देशों में ही नहीं फॉरेन के देशों में भी जहां भारतीय निवास करते हैं वहां भी शिव चर्चा हो रहा है और शिव को गुरु मानने वाले वहां भी है
छत्तीसगढ़ में 1999 से शुरू हुआ शिव चर्चा का प्रसार
जानकारी के मुताबिक बलरामपुर जिले के सनावल में साल 2007 में शिव चर्चा महोत्सव का आयोजन हुआ था. स्वयं हरिंद्रानंद महाराज भी स्वयं यहां शिव चर्चा महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. तब से लगातार क्षेत्र में शिव चर्चा महोत्सव का आयोजन हो रहा है. आज हर घर में शिव चर्चा का महोत्सव किया जाता है