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बलरामपुर ट्रिपल मर्डर केस: परिवार ने किया अंतिम संस्कार, न्याय की उम्मीद अब भी बरकरार


बलरामपुर, छत्तीसगढ़ – जिले के दहेजवार गांव में मिले तीन मानव कंकालों की पहचान कौशल्या ठाकुर, उनकी बेटी मुस्कान और बेटे मिंटू के रूप में हुई थी। परिवार ने भारी मन से, आंसुओं के बीच अपने तीन प्रियजनों का अंतिम संस्कार किया। अंतिम बार अपनों को न देख पाने का दर्द, और उनकी निर्मम हत्या का शोक, परिजनों के दिलों पर गहरा घाव छोड़ गया है।



     न्याय की उम्मीद और पुलिस पर सवाल

परिजनों ने समय रहते 27 सितंबर को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस की ओर से तत्परता नहीं दिखाई गई। इसके चलते यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया होता तो शायद आज यह दुखद अंत देखने को नहीं मिलता। अब परिवार पुलिस से सिर्फ एक ही उम्मीद लगाए बैठा है – इंसाफ।

मां और बच्चों की हत्या की इस विभत्स घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। परिवार अब सवाल उठा रहा है कि क्या अपराधियों को पुलिस सजा दिलवा पाएगी? या फिर यह मामला भी बाकी पुराने अनसुलझे मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?



    पुलिस की जांच पर सवालिया निशान

मामले में संदेही की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस की जांच धीमी रही। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे अपराधियों को और समय मिल गया। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

परिवार का दर्द: अंतिम संस्कार करते समय, परिवार के सदस्य अपने आंसू नहीं रोक पाए। उनके दिलों में बस एक ही सवाल है कि क्या उनके अपनों को न्याय मिलेगा या नहीं।

पुलिस की चुनौती: क्या पुलिस इस केस को सुलझाकर आरोपियों को कानून के कठघरे में ला पाएगी?


                      आगे की राह और इंसाफ

पुलिस ने अब डीएनए टेस्ट के जरिए कंकालों की पुष्टि करने का फैसला लिया है और मामले की गहराई से जांच कर रही है। लेकिन, परिजनों के लिए हर बीता हुआ दिन एक इंतजार की घड़ी है।

इस दुखद घटना ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। क्या आने वाला समय इस ट्रिपल मर्डर मिस्ट्री को सुलझा पाएगा? या फिर यह मामला भी धूल चाटती फाइलों में दफन हो जाएगा?

समय बताएगा कि क्या पुलिस अपराधियों को पकड़कर उन्हें सजा दिला पाएगी या यह मामला भी उन फाइलों की तरह ही खो जाएगा जिनकी धूल झाड़ने के लिए कोई तैयार नहीं होता। फिलहाल, पीड़ित परिवार की नज़रें न्याय की आस में पुलिस की ओर टिकी हुई हैं।

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